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________________ ११ २०७२ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन १४. यजदेवपूजा संगतिकरणदानेषु च १०७१ १५. वदि अभिवादन स्तुत्योः १६. वर्णक्रियाव्यवहारगुणवचनेषु च २०८८ १७. शंस स्तुती ७७४ १८. ष्टुन स्तुती १११८ १९. स्तोम श्लाघायाम् श्रीमद्भागवत में स्तुति एवं स्तुत्यर्थक शब्द श्रीमद्भागवत में आठ स्थलों पर स्तुति शब्द का प्रयोग गुणकीर्तन, श्लाघा, प्रशंसा, यशोगान आदि के अर्थ में उपलब्ध होता है और एक स्थल पर प्रतिहर्ता की पत्नी का अभिधानवाचक है। स्तोम स्तव, स्तोत्रादि शब्द भी यहां स्तुति के अर्थ में प्रयुक्त हुए हैं। ष्टुन (स्तु) धातु से निष्पन्न क्रियापदों का ही सर्वाधिक प्रयोग मिलता है । विधिलिङ्गात्मनेपदीय "स्तुवीत" लिट् लकार में तुष्टाव, तुष्टुवुः, शानच् प्रत्यय के योग से निष्पन्न "स्तुयमान एवं अभिष्टुत एवं अभिष्ट्रय आदि पूर्वकालिक क्रियापदों का भी प्रयोग मिलता है। संस्तूयमान, स्तोतुं, संस्तूयते, संस्तुतम्, संस्तुवतः, स्तुत्वा, स्तुवन्ति आदि विभिन्न प्रकार के क्रियापद भागवत महापुराण में व्यवहृत हुए हैं । स्तोम शब्द का प्रयोग दो स्थलों पर स्तुति के अर्थ में हुआ है स्तोम ३.१२.२७, ६.८.२९ एवं तृतीयान्त स्तोमेन ९.२०.३५ । क्रयादिगणीय 'गृ शब्दे' धातु का प्रयोग स्तुति अर्थ में भागवतकार ने अनेक स्थलों पर किया है-अगृणन् स्म (३.१५.२५) गृणन् (४.३०.२१) अभिगृणन्त (५.१८.१३) आदि। उपपूर्वक स्था धातु का स्तुति अर्थ में (जिसका निर्देश वार्तिकार ने "उपाद्देवपूजासंगतिकरणपथिष्वितिवाच्यम्" में किया है) भागवतकार ने प्रयोग किया है-उपतस्थु (३.१३. ३३) एवं उपतस्थिरे (४.१५.२०) । अदादिगणीय "ईड स्तुतौ" का प्रयोग श्रीमद्भागवत में अनेक स्थलों पर किया गया है-समीडित ३.१९.३१, ईडितो ३.३३.९, ईडिरे ७.८.३९, ईडय ४.३१.३, ईडिरे १०.५९.२२, इडितो ६.९.४६, ऐडयन् (१०.२.२५) आदि । ___ इस प्रकार विभिन्न स्तुत्यर्थक धातुओं का विनियोग श्रीमद्भागवत में मिलता है। स्तुति, प्रार्थना और उपासना "स्तुतिः गुणकत्थनम्" अथवा उपास्य किंवा स्तुत्य के गुणकीर्तन, १. श्रीमद्भागवत महापुराण ३.१२.३७, ३.२९.१६, ४.९.१५, ७.९.४९, ८.१६.४२, ११.११.२०, ११.११.३४ २. तत्रैव ११.१५.५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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