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क्षेत्र में अग्रसर किया ।
मां ! कितना सुन्दर ! दिव्य सुन्दर ! उसका स्नेह, प्यार और वीरत्व की कला ने ही मेरे जैसे पामर जीव को भी सामर्थ्यवान् बनाया। भैया और भाभी दोनों ने माता-पिता के समान ही मुझे आगे बढ़ाया। भैया श्री हरिहर पाण्डेय (वायुसेना) ने 'भैया' पद छोड़कर पिता का स्थान लिया और भाभी
मातृत्व-धर्म का निर्वाह किया । इस युग में भी राम-सीता की परिकल्पना सत्य एवं साकार है । दोनों बड़ी बहनों एवं दोनों जीजाजी ने अभूतपूर्व सहयोग दिया । पूज्या बहनें रात-दिन हम भाइयों के संवर्द्धन की ही कामना करती हैं । यह विद्या - यज्ञ की पूर्ति उन्हीं के एवं सहज शीलवान् एवं कर्मयोगी जीजाजी लोगों के आशीर्वाद का फलित रूप है । आयुष्मान् विनोद का सहयोग काफी काम आया ।
भार्या गीता ने कृष्ण - गीता की तरह मुझे विद्यारूपी कर्म भूमि में वीर अर्जुन बनाया | अनुज रामाशंकर मेरा अपर पर्याय है। हर क्षण लक्ष्मण की तरह धनुष-बाण लिए मेरे पीछे खड़ा रहता है । अनुज-वधू अनीता का काफी सहयोग रहा। पप्पु, झप्पु, बुची, पवन, टुनटुन एवं शिवा सबने अपने अनुसार इस कार्य में सहयोग दिया हम सबकी मंगल कामना करते हैं । श्वसुर पूज्य श्री प्रयाग उपाध्याय, श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय एवं श्री वैद्यनाथ तिवारी का आशीर्वचन काम आया । बाबा स्व० भुवनेश्वर पांडेय एक महान् तपस्वी एवं तुरीयावस्था को प्राप्त योगी थे । उनका अवितथ आशीर्वचन भी मुझे मिला ।
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सम्पूर्ण अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण धन्यवाद के पात्र है जिनके द्वारा प्रदत्त शोधवृत्ति ही इस कार्य में सहायिका बनी । मगध विश्वविद्यालय के अधिकारीगण एवं कर्मचारी वर्ग के प्रति कृतज्ञ हूं जिन्होंने काफी सहयोग किया । केन्द्रीय पुस्तकालय के अधिकारी एवं कर्मचारीगण, संस्कृत विभाग के श्री पाठकजी ( पुस्तकालयाध्यक्ष) श्री छोटेलालजी ( बड़े बाबू) एवं श्री रामदेव सिंहजी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं ।
जैन विश्व भारती एवं जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता समर्पित करता हूं । जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष सम्प्रति कुलपति, उदारचेता श्री श्रीचन्दजी बैंगानी, माननीय मंत्री श्रीमान् झुमरमलजी बैंगानी, उपमंत्री श्रीयुत् कुशलराजजी समदड़िया एवं अन्य अधिकारीगण ने इस कार्य प्रभूत सहयोग दिया । में उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं ।
उन्नीस
मान्य विश्वविद्यालय के कुलाधिपति महोदय, विविध विद्याओं में निष्णात, विद्या पुरुष, वदान्य श्रीचन्द रामपुरियाजी का आशीर्वाद काम
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