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बीस
आया । माननीय कुलपति श्री मांगीलालजी जैन का प्रभूत शुभाशंसन मिला । शेष सम्पूर्ण परिवार मेरे विद्यायज्ञ में सहायक है । जै० वि० सं० के केन्द्रीय पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं तुलसी प्रज्ञा के सम्पादक डॉ० परमेश्वर सोलंकीजी का काफी सहयोग प्राप्त हुआ ।
प्रेमचन्द तोलाराम बाफना चेरिटेबल ट्रस्ट गोहाटी के प्रति हम हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने सहृदयतापूर्वक इस विद्या-यज्ञ की पूर्ति के लिए आर्थिक योगदान दिया । भागवत - प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि उनका यश, कीर्ति, धन एवं सदाशयता अहर्निश संर्वाद्धत होती रहें । यह ट्रस्ट सम्पूर्ण देश में विद्या - विकास, विकलांग- सेवा एवं आतुर सेवा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है ।
जैन विश्व भारती प्रेस परिवार सर्वदा धन्यवादार्ह है । सभी लोगों ने अपनत्व की भावना से इस कार्य का सम्पादन किया । श्री जगदीशजी, मैनेजर, श्री कौशलजी एवं अन्य उनके सहयोगी जनों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं, जिनके कारण ही यह शोध प्रबन्ध इस रूप में तैयार हुआ ।
अन्त में उन सभी विद्वानों, अधिकारियों एवं महानुभावों के प्रति कृतज्ञताज्ञापित करता हूं जिनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में इस शोधकार्य में सहायता मिली । ग्रन्थ में जो कुछ भी दोष है वह मेरा और यत्किञ्चित् भी रसिक समुदाय लाभान्वित होगा, उससे मेरी साधना की सफलता होगी, आत्मतोष मिलेगा ।
जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय
लाडनूं
शिवरात्रि, वृहस्पतिवार १.१२.९४
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विनयावत हरिशंकर पाण्डेय
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