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सोलह
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि श्रीमद्भागवत महापुराण में स्तुतियों का अत्यधिक महत्त्व है । वैसे तो भक्ति की पावनी गंगा वेदों से ही निःसृत हुई है परन्तु भागवत में गति और स्थिरता प्रदान कर उसे महिमान्वित बनाया गया है । भक्ति का ही अनिवार्य तत्त्व स्तुति है | अन्यत्र भी स्तुतियां उपन्यस्त है किन्तु वैविध्य, उदात्तता एवं उत्कृष्टता के कारण श्रीमद्भागवत महापुराण की स्तुतियों का अपना महत्त्व है । न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक दृष्टि से ही स्तुतियों का महत्त्व है बल्कि साहित्यिक, मनोवैज्ञानिक सामाजिक आदि सभी दृष्टिकोणों से भी इनकी उपयुज्यता सिद्ध है । स्तुतियों के विभिन्न पक्षों पर इस शोध प्रबंध में यथासभव प्रकाश डालने का विनम्र प्रयास किया गया है ।
कृतज्ञताज्ञापन
मंगल के मूर्तिमन्त विग्रह, विश्व- मंत्री के पुरस्कर्ता परम आदरणीय गुरुदेव श्री तुलसी के चरण कमलों में मेरी वृत्तियां, मन और इन्द्रियां सर्वामना समर्पित हो रही हैं, जिन्होंने दूर-देश से आगत मेरे जैसे अबोध बालक को अनपायिनी - शीतलछाया और स्नेह की समर्थ पृष्ठभूमि प्रदान की, जिस पर बैठकर मेरे जैसे जीव ने भी मनुष्यत्व की भूमिका में प्रवेश करने का सामर्थ्य प्राप्त कर लिया। गुरु की सर्व व्यापी सत्ता में इनका प्रकाशमय देदीप्यमान रूप देखा । चारों तरफ से अपनी दिव्य ज्योत्सना से आह्लादित कर गुरुदेव ने इस बच्चे को पुरुषार्थी बनने का सामर्थ्य प्रदान किया। मैं भागवत की भूमिका में बैठकर उस महागुरु को प्रणाम करता हूं और यह कामना करता हूं कि उनकी अहैतुकी कृपा एवं सहज प्रेरणा मेरे मानसमन्दिर में स्फूर्त होती रहे, जिससे उनके सपनों को साकार करने में अहर्निश लगा रहा हूं ।
श्रद्धास्पद, स्नेहखनि एवं 'सर्वं द्वैधं व्रजति विलयं नाम विश्वासभूमौ' रूप विश्वास - पुरुष आचार्य श्री महाप्रज्ञ के पदकमलों में सब कुछ समर्पण है, जिन्होंने भौतिक परिचय के विना ही मुझे सहज रूप में स्वीकार कर अपना अवितथ आशीष प्रदान किया। इनके पौद्गलिक प्रतिकृति से उद्भूत ज्ञान की किरणें नैसर्गिक रूप से मेरे मानस पटल पर अधिकार कर चुकी हैं । जब से मैं इनके सान्निध्य में आया, तब से मेरी वृतियां उपशम रस में समाहित होती रही हैं ।
एक ही धन है मेरे पास - मातृदेव की पूजा, मातृ जाति के प्रति श्रद्धा । यहां भी उस रूप को देखा । माता विभूति सम्पन्ना साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा के पौद्गलिक चरण नख से उद्भूत स्वर्णिम प्रकाश - किरणों से मेरा जीवन पथ आलोकित हुआ, जगमगा गया, मुझे दीदावरी मिल गई ।
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