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श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन
सप्तश्लोकात्मक स्तुतियां दो हैं - प्रह्लाद कृत नृसिंह स्तुति (५/१८ ), और मार्कण्डेय कृत शंकर स्तुति ( १२।१० ), अष्टश्लोकात्मक स्तुतियों में कर्दमकृत भगवत्स्तुति (३ । २१ ), देवगण कृत ब्रह्मा स्तुति (३|१५ ), नारदकृत संकर्षण स्तुति (६/१६), शिवकृत संकर्षण स्तुति (५।१८ ), सत्यव्रत कृत मत्स्य स्तुति ( ८ (२४), अम्बरीषकृत सुदर्शन स्तुति ( ९१५) एवं देवकी कृत श्रीकृष्ण स्तुति (१०1८) आदि प्रमुख हैं । नवश्लोकात्मक स्तुतियों में पृथुकृत भगवत्स्तुति (४।२०) देवगणकृत नारायण स्तुति ( ६ । ९ ) एवं राजागण कृत कृष्णस्तुति आदि प्रमुख हैं ।
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दस श्लोकात्मक स्तुतियों में हस्तिनापुर के स्त्रियों द्वारा कृत कृष्ण स्तुति (१।१०), जीवकृत्भगवत्स्तुति ( ३।३१), सनकादि कृत भगवत्स्तुति ( ३।१६), इन्द्रकृत कृष्ण स्तुति (१०।२७), वसुदेवकृत ( १०1३) एवं नलकुबर मणिग्रीव कृत कृष्ण स्तुति (१०।१०) तथा मार्कण्डेय कृति शिव स्तुति (१२२८ ) प्रमुख हैं ।
(ग) तृतीय कोटि
इस कोटि के अन्तर्गत ११ से लेकर २० श्लोकात्मक स्तुतियों को रखा गया है । भीष्मस्तव ( १1९ ) एवं अक्रूर कृत कृष्ण स्तुति (१०१४८), एकादश श्लोकात्मक, शुकदेवकृत भगवत्स्तुति (२४), मरीच्या दिकृत वाराह स्तुति ( ३।१३), ध्रुवकृत विष्णु स्तुति (४९) एवं प्रजापतिकृत विष्णु स्तुति (६४४) आदि द्वादश श्लोकात्मक स्तुतियां हैं। चित्रकेतुकृत संकर्षण स्तुति ( ६।१६) एवं प्रजापति कृत शिव स्तुति ( ८1७) आदि पंचदश श्लोकात्मक हैं । देवगणकृत कृष्ण स्तुति (१२/२) षोडश श्लोकात्मक, गोपी जनकृत कृष्णस्तुति (१०1३१) एवं ब्रह्माकृत भगवत्स्तुति ( ८1५) उन्नीस श्लोकात्मक हैं ।
(घ) चतुर्थ कोटि
इस कोटि में २१ से लेकर ५० श्लोकों से युक्त स्तुतियों को रखा गया है । नागपत्नियों द्वारा कृत स्तुति (१०।१६) में २१ श्लोक सूतकृत कृष्ण स्तुति ( ११।११) में २३ श्लोक हैं । अक्रूर कृत भगवत्स्तुति (१०/४० ) में तीस श्लोक एवं प्रह्लाद कृत नृसिंह स्तुति ( ७1९ ) में ४३ श्लोक हैं ।
इस प्रकार उपास्य कामना, भावना, भक्तों की सामाजिक अवस्था आदि को दृष्टि में रखकर स्तुतियों का सात प्रकार से विभाजन किया गया । प्रमुख स्तुतियों का वस्तु विश्लेषण
श्रीमद्भागवत में स्तुतियों का विशाल भण्डार समाहित है । विभिन्न वर्ग के भक्त विभिन्न अवसरों पर अपने उपास्य के प्रति स्तुति समर्पित करते हैं । स्कन्धानुसार कतिपय प्रमुख स्तुतियों का विश्लेषण एवं विवेचन का अवसर प्राप्त है।
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