________________
‘भागवत की स्तुतियां : स्रोत, वगीकरण एवं वस्तु विश्लेषण १. श्लोकों की संख्या के आधार पर स्तुतियों का वर्गीकरण
श्लोकों की संख्या के आधार पर श्रीमद्भागवत की स्तुतियों को हमने चार कोटियों में विभक्त किया है(क) प्रथम कोटि
. इस कोटि के अन्तर्गत उन स्तुतियों को समाहित किया गया है जिनमें एक से पांच श्लोक हैं। ऐसी स्तुतियों की बहुलता है । एक श्लोक वाली स्तुतियों की संख्या बहुत अधिक है। ४५ से भी अधिक स्थलों पर एक श्लोकात्मक स्तुतिया ग्रथित हैं। देवगण कत स्तुति (३११९) अग्निकत (४७), इन्द्र (४७), ऋषि (४७), गन्धर्व (४:७), यजमानी (४७), वसुदेव (५।२०) कृत स्तुति आदि । इस प्रकार की स्तुतियां अधिकतर विभिन्न अवतारों के अवसर पर देव, ऋषि, यक्ष, मनुष्यादि भक्तों द्वारा की गयी है।
उत्तराकृत भगवत्स्तुति (११८), अत्रिकृत एवं (४१) सूत कृत स्तुति (११।३) आदि दो श्लोकों से युक्त है ।
तीन श्लोकों से युक्त स्तुतियां - दक्षकृत शिव स्तुति (४७), कामधेनुकृत कृष्ण स्तुति (१०।२७) जाम्बवान् (१०१५६) एवं करभाजन कृत कृष्ण स्तुति (१११५), कामदेव कृत नरनायण स्तुति (११।४) आदि हैं।
___ चार श्लोकों से युक्त स्तुतियां-- नारद कृत-नररारायण स्तुति (५।११), मनुकृतमत्स्यस्तुति (५।१८), अर्यमाकृत कूर्म स्तुति (५।१८), रहुगण कृतभगवत् स्तुति (५।१८), वृत्रासुर कृत विष्णु स्तुति (६।११), शुकदेवोपदिष्ट लक्ष्मी नारायण स्तुति (६।१९), वरुणकृत कृष्ण स्तुति (१०।२) एवं सुदामामालीकृत कृष्णस्तुति (१०।४२) आदि ।।
पांच श्लोकों से युक्त स्तुतियों की भी बहलता है। अर्जनकृत कृष्ण स्तुति (१७), देवहूति कृत कपिल स्तुति (३।२५), नारदकृत संकर्षण स्तुति (५।२५), हनुमान् कृत राम स्तुति (५।१९), पृथिवीकृत यज्ञ पुरुष की स्तुति (५।१८), भद्रश्रवाकृत हयग्रीवस्तुति (५।१८), अंशुमान् कृत कपिल स्तुति (९।८), कौरवगणकृत बलराम स्तुति (१०।६८), एवं उद्धव कृत कृष्ण स्तुति (११।६), इत्यादि पंचश्लोकात्मक स्तुतियां हैं । (ख) द्वितीय कोटि
इस कोटि के अन्तर्गत छः से दश श्लोकों से युक्त स्तुतियों को रखा गया है। लक्ष्मीकृत भगवत स्तुति (५।१८), राजागण कृत कृष्ण स्तुति (१०७०), श्रुतदेव कृत कृष्ण स्तुति (१०।८६), एवं याज्ञवल्क्यकृत आदित्य स्तुति (११।६) आदि प्रमुख षडश्लोकात्मक स्तुतियां हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org