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________________ ७४ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन प्राण रक्षा के लिए ब्रह्मा एवं विष्णु की स्तुति करते हैं। भागवत में भी कंश से मुक्ति के लिए देवलोग भगवान् कृष्ण की स्तुति करते हैं। आदित्य हृदय स्तोत्र (रामायण युद्धकाण्ड १०५) पश्चात्वर्ती वैसे स्तोत्रों का आद्य उपजीव्य है, जिसमें उपास्य के विभिन्न गुण कर्मानुसारी नामों की चर्चा की गई है । भागवत महापुराण के "नारायणकवच' का प्रथम स्रोत यहीं आदित्य हृदयस्तोत्र है । दोनों में समय एवं परिस्थिति की भी समानता है। भागवत में इन्द्र पुरोहित विश्वदेव द्वारा उपदिष्ट होकर राक्षस राज वृत्रासुर पर विजय प्राप्त करने के लिए "नारायणवर्म" का पाठ करते हैं, जिसमें भगवान् विष्णु के विभिन्न नामों की चर्चा है। रामायण में श्रीराम ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा अनुज्ञापित होकर रावण विजय के लिए आदित्य हृदयस्तोत्र का पाठ करते हैं । अन्य भागवतीय स्तुतियों का स्रोत भी रामायण की स्तुतियों में उपलब्ध होता है । महाभारत की द्रौपदीकृत श्रीकृष्ण स्तुति सारे भागवतीय आर्त स्तुतियों का मूल स्रोत है । द्रौपदी भरी सभा में विबस्त्रा हो रही है । पूर्णतः असहाय एवं संकटग्रस्त होकर श्रीकृष्ण को पुकार उठती है (सभापर्व ६८.४१-४३) । भागवत में उत्तरा, अर्जुन, गजेन्द्र आदि की स्तुतियां द्वौपदीकृत कृष्ण स्तुति से प्रभावित हैं। महाभारत का भीष्मस्तवराज (शान्तिपर्व-४७) भागवतीय भीष्मकृत श्रीकृष्ण स्तुति का मूल है । यह वृहद्काय स्तोत्र है । इसमें ८४ श्लोक हैं जो ८२ अनुष्टुप् में तथा शेष अंतिम दो उपेन्द्रवज्रा छन्द में निबद्ध हैं । भागवतीय भीष्म स्तुति में इसी स्तवराज से विभिन्न भावों, उपास्य के नाम एवं स्वरूप का संग्रहण किया गया है। श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का वर्गीकरण श्रीमदभागवत में १३२ स्तुतियां विभिन्न प्रकार के भक्तों द्वारा अपनेअपने उपास्य के प्रति समर्पित की गई हैं। इन स्तुतियों का विभाजन अधोविन्यस्त रूप में किया गया है-- १. उपास्य के आधार पर स्तुतियों का वर्गीकरण उपास्य के आधार पर श्रीमद्भागवतीय स्तुतियों को तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं -- १. सर्वतन्त्रस्वतन्त्र, परात्पर ब्रह्म अथवा अनौपाधिक ब्रह्माविषयक स्तुतियां श्रीमद्भागवत परमहंसों की संहिता है। इसमें कतिपय ऐसे भक्त हैं, जो अनौपाधिक ब्रह्म की स्तुति या उपासना करते हैं। सृष्टिकर्ता सृष्टि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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