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________________ भागवत की स्तुतियां : स्रोत, वर्गीकरण एवं वस्तु विश्लेषण ७५ करने में जब अक्षम थे, तब उन्होंने परात्पर ब्रह्म की स्तुति की । आरम्भ में ब्रह्मा निवेदन करते हैं-- "भगवन् ! आपके अतिरिक्त संसार में कोई भी वस्तु अधिगम योग्य नहीं है। जिन वस्तुओं की हमें प्रतीति हो रही है, वह प्रतीति माया के कारण क्षुब्ध हुए आपके ही अनेक रूपों पर आधारित है।' हे विश्वकल्याणमय ! मैं आपका उपासक हूं, मेरे हित के लिए ही ध्यान में मुझे आपने अपना रूप दिखलाया है । संसारिक कष्ट से त्रस्त जीव माता के गर्भ में उस सच्चिदानन्द परम प्रभु से अपनी मुक्ति के लिए याचना करता है। सप्तधातुमय स्थूल शरीर से बंधा हुआ वह देहात्मदर्शी जीव अत्यन्त भयभीत होकर दीन वाणी से कृपा याचना करता हुआ हाथ जोड़कर उस प्रभु की स्तुति करता है --- तस्योपसन्नमवितुं जगदिच्छयात्त नानातनो वि चलच्चरणारविन्दम् । सोऽहं ब्रजामि शरणं ह्यकुतोभयं मे येनेदृशी गति रदयसतोनुरूपा ॥ ग्राह के द्वारा ग्रसित गजेन्द्र निविशेष प्रभु के चरणों में अपनी स्तुत्यांजलि अर्पित करता है। गजेन्द्र ने बिना किसी भेद-भाव से स्तुति की थी, इसलिए स्वयं अनौपाधिक प्रभु हरि ही आकर उसकी रक्षा करते हैं । प्राग्जन्मानुशिक्षित गजेन्द्र परेश की स्तुति करता है ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम् । पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि ॥' २. विष्णु एवं तदवतार विषयक स्तुतियां _ श्रीमद्भागवत में विष्णु एवं उनके अवतार राम, कृष्ण, कूर्म, नृसिंह, कपिल, वाराह नर-नारायण, हयग्रीव, मत्स्य आदि देवों की स्तुतियां संग्रथित हैं । सबसे ज्यादा कृष्ण विषयक स्तुतियां हैं। उन स्तुतियों में श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों का प्रतिपादन किया गया है। ३. अन्य देवों से सम्बन्धित स्तुतियां श्रीमद्भागवतीय भक्तों ने विभिन्न देवों की भिन्न अवसरों पर स्तुतियां की हैं । शिव, ब्रह्मा, अग्नि, सूर्य, चन्द्र, जलदेवता, त्रिदेव, पृथ, संकर्षण आदि देवों से सम्बन्धित स्तुतियां भी हैं । दक्ष प्रजापति पुनर्जीवन के बाद गद्गद् स्वर से भगवान् शिव की स्तुति करते हैं। भूयाननुग्रह अहो भवता कृतो मे दण्डस्त्वया मयि भृतो यदपि प्रलब्धः । न ब्रह्मवन्धुषु च वां भगवन्नवज्ञा तुभ्यं हरेश्च कुत एव धृतवतेषु ॥ १. श्रीमद्भागवत ३.९.१ २. तत्रैव ३.३१.१२ ३. तत्रैव ३.३.२ ४. तत्रैव ४.७.१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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