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अध्याय १४ : ३२७
के दोनों अंचलों को कटिभाग में टांक लेता है-नीचे से नहीं बांधता, दिवा ब्रह्मचोरी और रात्रि में अब्रह्मचर्य का परिमाण करता है।
दिन और रात में ब्रह्मचारी :
यह छठी प्रतिमा है। इसका कालमान छह महीनों का है। इसमें पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक दिन और रात में ब्रह्मचारी रहता है । किन्तु सचित्त का परित्याग नहीं करता। सचित्त-परित्यागी :
यह सातवी प्रतिमा है । इसका कालमान सात महीनों का है। इसमें पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक सम्पूर्ण सचित्त का परित्याग करता है, किन्तु आरंभ का परित्याग नहीं करता। आर-परित्यागी:
यह आठवीं प्रतिमा है । इसका कालमान आठ महीनों का है। इसमें पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक आरम्भ -हिंसा का परित्याग करता है, किंतु प्रेष्यारंभ का परित्याग नहीं करता।
प्रेष्य-परित्यागी:
यह नौवीं प्रतिमा है। इसका कालमान नौ महीनों का है। इसमें पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक प्रेष्य आदि हिंसा का परित्याग करता है किंतु उद्दिष्टभक्त का परित्याग नहीं करता।
उदृष्टिभवत परित्यागी :
यह दसवी प्रतिमा है। इसका कालमान दस महीनों का है। इस में पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक उद्दिष्ट भोजन का परित्याग करता है। वह सिर को क्षुर से मुंड़वा लेता है या चोटी रख लेता है। घर के किसी विषय में पूछे जाने पर जानता हो तो कहता है-'मैं जानता हूँ" और न जानता हो तो कहता है- "मैं नहीं जानता'।
श्रमण-भूत :
यह ग्यारहवीं प्रतिमा है। इसका कालमान ग्यारह महीनों का है। इसमें पूर्वोक्त उपलब्धियों के अतिरिक्त प्रतिमाधारी उपासक सिर को क्षुर से मुंडवा
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