SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय १० : १६५ क्योंकि तब सब ठीक है।' जीवन और मृत्यु की श्रेष्ठता का परिमापक यंत्र संयम है । संयम का अर्थ है-आत्म केन्द्रित होना, बाहरी वृत्तियों से सर्वथा उदासीन हो जाना । जिसे स्वयं के अतिरिक्त कहीं रस प्रतीत न होता हो, वह संयम का अधिकारी होता है। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु स्वयं की विस्मृति में कैसे होगी? जीवन और मृत्यु श्रेष्ठ नहीं है; श्रेष्ठ है-संयम, स्वयं में जीना, स्वयं की स्मृति में जीना। अकामं नाम बालानां, मरणञ्जायते मुहुः । पण्डितानां सकामं तु, जघन्यतः सकृद् भवेत् ॥१६॥ १९. बाल-असंयमी जीवों का बार-बार अकाम-मरण होता है। पंडित-संयमी जीवों का सकाम-मरण होता है। और वह अधिक बार नहीं होता-जघन्यतः एक बार और उत्कृष्टतः पन्द्रह बार होता है, फिर वह मुक्त हो जाता है। पतित्वा पर्वताद् वृक्षात्, प्रविश्य ज्वलने जले। म्रियते मूढचेतोभिरप्रशस्तमिदं भवेत् ॥२०॥ २०. मूढ़ मन वाले लोग पर्वत या वृक्ष से नीचे गिरकर, अग्नि या जल में प्रवेश कर जो मरते हैं, वह अप्रशस्तमरण कहलाता है । ब्रह्मचर्यस्यरक्षाय, प्राणानामतिपातनम् । प्रशस्तं मरणं प्राहू, रागद्वेषाप्रवर्तनात् ॥२१॥ २१. ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए प्राणों का नाश करना प्रशस्त मरण कहलाता है, क्योंकि वहां राग-द्वेष की प्रवृत्ति नहीं होती। आत्महत्या प्रशस्त नहीं है। उसके पीछे जो हेतु है उसमें जिजीविषा का भाव प्रधान है। जिन कारणों से आत्महत्या की जाती है, उनकी पूर्ति हो जाने पर वह रुक सकती है। आत्महत्या की ओर व्यक्ति तभी अग्रसर होता है जब उसके स्वाभिमान पर चोट आती है, कोई भयंकर विपत्ति आ जाती है, गहरा आघात लगता है, जो चाहता है वह प्राप्त नहीं होता है-आदि । इन सबके मूल में रागद्वेष प्रमुख हैं। किंतु जहां इनमें से कोई कारण उपस्थित न हो, व्यक्ति अपने नश्वर शरीर को अनुपयोगी मान राग-द्वेष से विमुक्त अवस्था में शरीर को छोड़ने का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003124
Book TitleSambodhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy