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________________ दो शब्द ० काल अनन्त है । सत्य अनन्त है। • सत्य के साक्षात्कार का प्रयास अनन्त काल से चल रहा है। ० अनन्त व्यक्तियों ने सत्य को खोजा और पाया। • अनन्त व्यक्ति उसे खोजेंगे और पाएंगे। ० अनगिन व्यक्ति उसे खोज रहे हैं, कुछ पा रहे हैं, कुछ भटक रहे हैं। • अनन्त अतीत, अनन्त भविष्य और क्षणिक वर्तमान की यह अमर कहानी है। • सत्य अनन्त है इसीलिए वह अमर है। • कहते हैं, सत्य तक पहुंचने के अनन्त मार्ग हैं। ० नहीं, यह सही नहीं है। • सत्य एक है और उसकी उपलब्धि का मार्ग भी एक है। वह मार्ग है ___ 'संबोधि'। ० महावीर ने कहा—'संबुज्झह, किं न बुज्झह ।' 'संबुद्ध बनो। बोधि को प्राप्त क्यों नहीं कर रहे हो ?' • 'संबोहि खलु पेच्च दुल्लहा'–संबोधि का अवसर प्राप्त है। उसका उपयोग करो। आगे संबोधि दुर्लभ है। • अस्ति-नास्ति, अमरत्व-मृत्यु, ज्ञान-अज्ञान, स्थिति-गति, क्रिया-अक्रिया, ध्र व. परिणामी-इन द्वन्द्वों में मत फंसो। ० इन द्वन्द्वों की कुहेलिका को विदीर्ण करो। सारा अन्तःकरण जगमगा उठेगा। • स्वयं को जानो। 'स्वयं' अनन्त है। जो अनन्त को जानता है वह अनन्त हो जाता है। • 'संबोधि' अनन्त के यात्रा-पथ का मार्ग-दीप है । वह जलाया नहीं जाता, वह जलता ही रहता है। • वह बनाया नहीं जाता, वह स्वयंभू है। • वह न निर्माता है और न निर्मिति । • वह न कर्ता है और न कृति । • वह न स्रष्टा है और न सृष्टि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003124
Book TitleSambodhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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