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इन्द्रियाणि च संयम्य, कृत्वा चित्तस्य निग्रहम् । संस्पृशन्नाऽत्मनात्मानं, परमात्मा भविष्यसि ।।
इन्द्रियों का संयम कर, चित्त का निग्रह कर, आत्मा से आत्मा का स्पर्श कर। इस प्रकार तू परमात्मा बन जाएगा।
--संबोधि : १६/१८
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