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जाने कोष्ठागार, भाण्डागार, पाठशाला, क्षीरशाला, गंजशाला, महानसशाला में जाए।
जो भिक्षु जाती आती सर्वालंकार विभूषित स्त्रियों के दृष्टिगोचर होने पर मन में चिंतन करे । ____ जो भिक्षु मांसखादक, मत्स्यखादक, छविखादक बाहर निकले हों, उनसे अशन, पान, खादिम, स्वादिम ग्रहण करे ।
• जो भिक्षु किसी प्रकार का पौष्टिक भोजन देखकर उस सभा के बगैर उठे, बिखरे, उस अन्न को ग्रहण करे अथवा आज यहां राजा साहब का मुकाम है यह समझकर उस प्रदेश में होकर निकले अथवा कथा कहे। ___ यात्रार्थ जाते हुए, अथवा यात्रा से निवृत्त होते हुए, जैसे-पर्वत यात्रा, नदीयात्रा, आदि में प्रस्थित अथवा निवृत्त हुए हों उनसे अशन, खादिम, स्वादिम ग्रहण करे ।
जो भिक्षु इन दस अभिषेक्य राजधानियों में, जो प्रसिद्ध हैं, गणनीय हैं, वर्णनीय हैं, उनमें एक मास में दो बार या तीन बार निष्क्रमण प्रवेश करे अथवा ऐसा करने वाले का अनुमोदन करे, वे राजधानियां ये हैं-चम्पा, मथुरा, वाराणसी, श्रावस्ती, साकेत, कांपिल्य, कौशाम्बी, मिथिला, हस्तिनापुर और राजगृह । ____ जो भिक्षु मूर्द्धाभिषिक्त राजा का अशन, पान, खादिम, स्वादिम, दूसरे के लिए लाया हुआ ग्रहण करे जैसे:-क्षत्रियों, राजाओं, कुराजाओं, राजसंसक्तों, राजप्रेषकों, नटों, नृत्यकारों, मागधों, मल्लों, कथकों, भाण्डों, अश्वपालकों, हस्तिपोषकों, महिष पोषकों, वृषभपोषकों, सिंहपोषकों, व्याघ्रपोषकों, मृगपोषकों, सूकरपोषकों, शुनकपोषकों, मेंढापोषकों, हंसपोषकों, तित्तिर पोषकों, चिल्लपोषकों, मयूर पोषकों और तोतापोषकों के लिए। ____ जो भिक्षु मूर्द्धाभिषिक्त राजा के यहां से हस्तिशिक्षक, अश्वशिक्षक, अश्वपाल, हस्तिपाल, अश्वारोही, गजारोही, इनके यहां गया हुआ अशन, पानादि ग्रहण करे ।
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