________________
३६ दंडीवाले पादपोंछनक करने, लेने, रखने देने, बांटने बापरने और अनावश्यक पाद प्रोंछन को डेढ महीने से अधिक समय तक अपने पास रखने के अपराध में प्रायश्चित्त बताया है।
अचित्त पदार्थ पर रहे हुए गंध को सूंघे, अवलम्बन करे, जल नाली को समारे, अथवा शिक्यक के वस्त्र को साफ करे, सौत्रिक अथवा रज्जुमयी चिलीमिली का संस्कार करे, सूई, उस्तरा, नखछेदन, और कर्णशोधन को तेज करे, कठोर वचन बोले, झूठ बोले, अदत्त चीज को ग्रहण करे, थोडे ठंडे पानी से अथवा गर्म पानी से हाथ, पग, कान, आंख, दंत, नख, मुंह इनको मले अथवा धोओ अखण्ड चर्म अखण्ड वस्त्र और नहीं कटे हुए वस्त्र को पहिने, तूम्बे, लकड़ी और मिट्टी का त्रिविध पात्र, दण्ड, लाठी, अवलेखनी और बांस की सूई को स्वयं घीसे, रखे उसको संस्कारित करे, अपने खोजे हुए, दूसरे के खोजे हुए, श्रेष्ठ के खोजे हुए, वलवान के खोजे हुए, अपूर्व खोजे हुए पात्र को धारण करे। जो नित्य अग्रपिण्ड का, अग्रपिण्ड के तीसरे भाग अथवा उसके आधे भाग का भोजन करे । पूर्वसंस्तव करे, पश्चात्संस्तव करे, स्थान पर रहता हुआ अथवा ग्रामानुग्राम विचरता हुआ पूर्व संस्तुत अथवा पश्चात् संस्तुत कुलों में प्रथम अथवा पीछे भिक्षार्थ प्रवेश करें, जो भिक्षु अन्य तीथिक अथवा गहस्थ के साथ घर में भिक्षार्थ प्रवेश निर्गमन करे, बाहर विहार भूमि अथवा विचार भूमि में अन्यतीर्थिक वा गृहस्थ के साथ प्रवेश करे अथवा उनके साथ ग्रामानुग्राम विहार करे, किसी भी प्रकार का भोजन लेकर उसमें से सुगन्धी सुगन्धी खाये और दुरभिगन्धी दुरभिगन्धी फेंकदे, किसी भी प्रकार का पानी लाकर अच्छा अच्छा रखले, कषायला कषायला फेंक दे, सुन्दर भोजन ग्रहण कर बासी ठण्डा साम्भोगिक साधर्मियों को पूछे बिना अथवा उनको निमंत्रण दिये बिना फेंक दे, शय्यातर का खाये अथवा आहार से ग्रहण करे, शय्यातर का घर जाने पूछे बिना और उसकी गवेषणा किये बिना पहले ही भिक्षा के लिए निकल जाय, जो शय्यातर की निश्रा से दीनता पूर्वक मांगकर ले, ऋतु
६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org