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________________ मुनि-देवसमुद्र क्षुल्लक, धर्मसमुद्रक्षुल्लक प्रमुखसाधुसहाया: भावमभि (ति) गणि (नी) प्र० धर्म प्रभा गणि (नी) रत्न सुन्दरि साध्वी प्रमुख सं० गोल्हा, सं० डूंगर, सा० मेला प्रमुख श्रावकश्राविका प्रभृति श्री विधिसमुदायसहिताः श्री आदिनाथ श्री नेमिनाथौ प्रत्यहं प्रणमंति ॥छ।। शुभं भवतु ॥छ।।। १७८--सम्बत् १६३० वर्षे जेठ सुद २ दिने वागड देस राजा (ना? ) आसकरण तेज वंश सलट सू० रणं मुल पुत्र सडा पुत्र पालापुत्रा कंपापुत्र हापू पुत्रो पाता अजा मुकन्द पाता पुत्र अलूआ चण्डाउस १७६-सम्वत् १६१७ वर्षे सन् ६६१ (?) भाभंवा वदि ६ दिने गुरु साह सोमा सुत करमचन्द जात्रा सफल वास दधाली श्रीमाल वामा हे उसवाल लोढा साथ भोजग मकुदे ।। १८० सम्वत् १६२१ वर्षे पोश शुदि १३ शुक्र श्री तपागच्छ श्री वीजदानसूरि भट्टारक श्री हीरवजिसूरि श्रीआंबइ नगरे श्रीमाली लाडूया नीआती श्रो (गौत्र सांबा) पोल भाडा बाई तेजू सत श्रो० (?) सीहा भ्राझ (पूत्री संघाती चं) द्रामति सत संघवी (इ अली संगाछ) हांसा भ्रत हेमा श्रीपति सत नाकर वर्धमान सामल काहानजी, पीरजी, हीरजी, सूरजी, देमत मनरंजी श्रि (?) दीनात्र संघ गय ।.................."जात्र सफल ।। १८१--सं० १६१६ वर्षे माह सुदि ११ दिने उसभगोत्रो साह कवरपाल पुत्र छीतर लषा लोला माता रंभा भा० वलां लिषितं उ० माणिकराज ।। १८२-सम्वत् १६१६ वर्षे माह सुदि ११ दिने उसवाल नग गोत्रे सा० दूलह सुत सा० तोला वीरम, पु० रूपा, वस्ता, सोना, भा० नेनू बाई राज यात्रा सफल उ० माणिकराज कन्हर सा लिषि ।। १८३- संवत् १३०८ बर्वे फाल्गुन वदि ११ शुक्र श्री नाणकगच्छे श्री आघाट वास्तब श्रे० आंब प्रसाद, लूण पाल्हण, माल्हण, आम्रप्रसाद पुत्र सा० श्रीपति तत्सुत सा० पुनाकेन आभा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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