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________________ ३६६ १७२-० १४८३ वर्षे श्री खरतरगच्छे महंतिआणिवंशे जवणपुर वास्तव्य ठाकुर मोहण पुत्र वीरनाथः श्री आदिनाथं सदा प्रगमति सपरिवारः । १७३-सा जोधा करमसी पुत्र इना, देवा स० भीम थी (छी)तर पुत्र ममण, सं० सोना पोरवाड नथा पुत्र सेढा, सोमा, चार (?)पुत्र नरसिंघ भी पुत्र पंप, हेमा, करम, नवा, नादा, संपत्र पं० कमा, काल, पुत्र, कला, छीतर, देपाल प(पु)त्र नवा माका, प्रसह प (पु)त्र सा देला नागरपुत्र राजा, प्रका, ईधा, जोधा, वसा, थेडश (?), कामधा, (?) संवत् १६१२ वर्षे मागसर वद ८ शक्र............." १७४-सं० १६७७ वर्षे कार्तिग सुदि १३ तेरस श्री आबू चडया, ।। संघ दसोर-सीतामऊ-संघ चड्य ।। संघवि लषसीह, महराज, । साह मेघराज लषु, जेवंत, ।। गोत्रे बापणा सोनगरा ।। वीरजी, कावड्या वीरधा । तपागच्छ ध्रम माणस हजार ३००० श्री संघ साथ पाबुजी परसि समस्त बालगोपाल सहित चीर जीव होजो ठाकुर श्री चंद्रभाण दयालदास पांडे रामा सुत पांडे छीतर"............"|| १७५--श्रीगोत्र देव्याः प्रसादात् संमत् १६७७ वर्षे कार्तिक मासे शुक्ल त्रयोदस्यायां सुभदिने गढ दसोर बापणा लखु जेवंत सोनगरा विरजी, हीरजी, कवेड्या विरधासाह कमासाह सोनगरा धमासाह जोवा बापणा कमु सोनगरा संघवि लषु जवंत विरजी वीरधा संघवीच्यार ॥ १७६--सां० १६५५ वर्षे फागुण वि० ५ वु० हांसा, मनाउथ सीरोही राच प्रमुष कमठाई पुत्र वु । सुरतण सिवराज संघी सुत्र० नेता राउत षीमसी डाहा जात्रा सफल श्री ॥ १७७---1८।। श्रीमान्नाभिसुतो भूयात्, सर्वकल्याणद: सदा ।। चारुचामीकरज्योतिः, श्रिये श्रेयस्करः स वः ॥१॥ सम्वत् १४६४ वर्षे पौष सुदि २ रवौ श्री खरतरगच्छे श्री पूज्य श्री जिनसागरसूरि गच्छनायकसमादेशेन निरंतरं श्री विवेक हंसोपाध्याया:-पं० लक्ष्मीसागरगणि-जयकीर्तिमुनि-रत्नलाभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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