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महणसीह, रावण, मातृ उदयसिरि, आल्ह भार्या जयतु हीरू वधू भोपल थाहडादि कुटुंबसहितेन पुत्र जगसीह श्रेयोऽथ श्री रिषभदेव सर्वांगाभरणस्य जीर्णोद्धारः कृतः ।।
१८४ सं० १३०८ वर्षे फाल्गुण वदि ११ शुक्र श्री जावालिपुर वास्तव्य चन्द्रगच्छीय खरतर सा० दूलहसुत संधीरण तत्सुत सा० वीजा, तत्पुत्र सा० सलषणेन पितामही राजू माता साऊ भार्या माल्हण देवि सहितेन श्री आदिनाथसत्क सर्वांगाभरणस्य साउ श्रेयोऽर्थं जीर्णोद्धारः कृतः ।।
१८५-० १५६७ वर्षे फागुण सुदि ५ श्री खरतरगच्छे भ० श्री जिनप्रभसूरि (रेर) न्वये उ० श्री आनंदराज सि० उ० श्री अभय चन्द, सि० उ० श्री हरि (हीर) कलश, सिष्य वा० श्री सहज कलश, गणि, सि० भक्ति लाभ, मतिलाल (भ) भावलाभ परिवार सहितेन यात्रा कृता आदिनाथस्य शुभं भवतु । श्रीमालन्याती चिनालिया गोत्रे चो० यो पुत्र जगराज सहितेन यात्रा कृताः । नित्यं प्रणमति नैयणां सुत तिपूर भोजग ॥
१८६--सं० १५६७ वर्षे फाल्गुन शुदि ५ भौमदिने श्री रुद्र-- पल्लीयगच्छे भट्टारिकदेवसुदरसूरि सिक्ष वाचक श्री विवेकसुदर तत् सिक्ष वा० श्री हेमरत्न तत् सिष्य वा० श्री सोमरत्न तत् सिक्ष वा०श्री गुणरत्न बांधव ग० लक्ष्मीरत्न तिलोकचन्द्र गोष्टिदुर्घट गोत्रेसाह बील्हराज तत्पुत्र साह पूना उदय राज परिवार सहितेन संघ संजुक्तेन श्री आदिनाथयात्रा कृता । सफलमस्तु शुभं ॥
१८७--रिष श्री पूजि पेमासागर, रिषश्री हीरगर (हीरसागर) बीजा मत को चेली। साहगुणा, धूपा, गोदा पुत्र स० १६११वर्षे पोस नदि ५ साध्वी सुवीरा, साधनी, भांनां, साहगुणा, साह घेता साहा बाहदुर, साह लोलाबाई, पेमाबाई, हमाबाई, धाना सानाबाई, रूपाबाई, मनोरदेबाई, सीता, पूनां, लाडमदे लाला रमाँ ।
१८८-श्रीअचलगच्छे श्रीउदयराज उपाध्याय शिष्य वा० विमलचन्द्र ग; पं० देवचन्द्र, पं० नवनरंग, पं० तिलकराज, सोमचन्द्र, रुर्ष (षि) रत्न गुणरत्न, दयारत्न समस्तपरिवार यात्रा पुंन्यानइंडा
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