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३२६ में हस्तिशाला के पास अम्बिका देवी की एक बडी मूर्ति है, और इसी मन्दिर के गूढ मण्डप में दाहिने हाथ की तरफ राजीमती की एक बडी खडी मूर्ति है। ___ लूणिगवसति के मन्दिर की प्रत्येक देवकुलिका के द्वार पर लेख खुदे हुए हैं, श्यामशिला पर एक बडी प्रशस्ति खुदी हुई है जिसमें गुजरात के राजाओं और चैत्यनिर्मापक मन्त्रियों की वंश परम्परा का वर्णन है, इस श्यामशिला के पास ही दूसरी एक श्वेत शिला है, जिस पर मन्दिर की व्यवस्था के लिए नियत किये गये गोष्ठिक मण्डल का निरूपण है और वर्ष गांठ के प्रसंग पर अट्ठाहि उत्सव करने की व्यवस्था खुदी हुई है।
ऊपर इस मन्दिर की जिस हस्तिशाला का उल्लेख किया है उसमें १० हाथी, २ आचार्य मूर्तियां, श्री चण्डप विगैरह की २५ सस्त्रीक मूर्तियां हैं, एक त्रिखण्ड चौमुख और कतिपय जिनमूर्तियाँ भी हैं, इस हस्तिशाला की मनुष्य भूतियों के नाम लेख क्रमशः नीचे मुजव हैं
। १ आचार्य श्री उदयप्रभ । २ , श्री विजयसेन ( ३ महं श्री चंडप ,, श्री चापलदेवी
श्री चंडप्रसाद श्री चांपलदेवी श्री सोम श्री सीतादेवी
श्री आसराज
, श्री कुमारदेवी J११ ,, श्री लूणग
श्री लूणगदेवी
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