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प्रशस्ति में मंत्री विमल के पूर्वजों तथा वंशजों को नामावलि दी है, विमलशाह के कुल को श्री श्रीमाल कुल कहा गया है, इनके वंश को प्राग्वाट वंश।
विमल के पूर्वजों में सर्व प्रथम नीना का नाम आता है, नीना के बाद उसका पुत्र लहर हुआ जो श्री मूलराज का विश्वासपात्र और बुद्धि का निधान कार्याधिकारी था। __लहर का पुत्र महत्तम श्री वीर हुआ और वीर के दो पुत्र थे, पहला नेढ और दूसरा दण्डाधिपति श्री विमल, जिसने संसार-समुद्र को तैरने के लिए यह पुल समान मन्दिर बनवाया, मन्त्री नंढ का पुत्र लालिक हुअा, जो धर्मी और बड़ा परोपकारी था। __लालिक का पुत्र महीन्दुक हुआ जो स्वरूपवान् और शीलशाली
था, महीन्दुक के दो पुत्र थे, पहला हेमरथ, दूसरा दशरथ जो दोनों विवेकी, धर्मी और सारासार विवेचक थे, हेमरथ के छोटे भाई दशरथ ने अपने भाई के लिए और अपने लिए पुण्य संचय करने के निमित्त श्री नेमिजिन का बिम्ब बनवाया और सं० १२०१ के वर्ष में देवकुलिका में प्रतिष्ठा की, इसी दशवी देहरी के भीतर दशरथ ने अपने पूर्वजों की मूर्तियां खुदवाकर एक पत्थर की शिला उस देहरी के जलवट पर स्थापित की उस पर खुदे हुए मन्त्रियों के नाम निम्न प्रकार से हैं:
१ महं श्री नीना मूर्ति २ ,, ,, लहर , ३ ,, ,, वीर , ४ ,, ,, नेढ ,
,, ,, लालिग,,
م
,, महिन्दुय,
م م
७ ,, ,, हेमरथ , ८ , दशरथ,
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