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________________ बाहुबलि चरित्र की मुख्य मुख्य घटनाए चित्रों के साथ बताई गई हैं, इतना ही नहीं बल्कि इनके पुत्र, स्त्री, बहिनें, सेनापति, मन्त्रि वगैरह भी नाम देकर बतायें हैं, अयोध्या की हद में जिन जिन भावों के साथ नाम लिखे हैं वे इस प्रकार हैं "भरतेश्वर सत्का विनीताभिधाना राजधानी, भग्नी बांभी" सुन्दरी स्त्रीरत्न (पालकी में) समस्त अंतःपुर (पालकी में) प्रतोली (नगर के दरवाजे) महामात्य मति सागर (युद्ध सज्ज हाथी पर) सेनापति सुषेण (ऊपर मुजब) पाट हस्ती विजयगिरि (जिस पर महामात्य चढा है) श्री भरतेश्वरस्य (रथ ऊपर) रथा रूढो भरथेस्वरस्य, विद्याधर अनिल बेगः । अनिल वेग (विमान में) पाट हस्ति विजयगिरि, आदित्य जश: (हाथी ऊपर) सुवेग दूतः (इसके आगे समवसरण है) "सुनन्दा सुमंगला” समस्त श्राविकानां परिखधा: (स्त्री परिषद् ऊपर) इयं हि समस्त श्रावकानां परिखधा: (श्रावक परिषद् ऊपर) विज्ञप्ति क्रीयमाणा बाँभी सुंदरी (नम्र हुई स्त्री मूर्तियों पर) प्रदक्षिणा दीयमान भरतेश्वरस्य (समवसरण को प्रदक्षिणा फिरते भरत पर) मजारो मूखक, सर्प-नकुल, स्वच्छ गावीसिंह, (पशुपर्षदा के ऊपर) “भरथेस्वरस्य संजाते केवल ज्ञाने" रजोहरण समर्पणा 'सांनिध्य देवता' समायाता . . . . . . . . . . . . . . . . . रजोहरण सांनिध्य देवता" तक्षशिला की हद में जो उल्लेख खुदे हुए हैं, वे नीचे मुजब हैं ___ "बाहुबलिसत्का तक्षशिलाभिधाना राजधानी, पुत्री जसोमती, अंतःपुर, (पालकी में) सुभद्रा स्त्रीरत्न (पालकी में) सिंहस्थ सेनापति (हाथी ऊपर) कुमार सोमजस (हाथी ऊपर) मंत्री बहुलमति (हाथी पर स्थित) (मागे दोनों लश्करों का दिखाव और चलता हुआ युद्ध बताया है) .... .. अनिलवेगः (एक कटे हुए मनुष्य पर) भरथेश्वर बाहुयुद्ध-बाहुबलि, भरथेश्वर-मुष्टियुद्ध-बाहुबलि, भरथेश्वर-दडयुद्ध-बाहुबलि, भरथेश्वर-चक्रयुद्ध-बाहुबलि, (छः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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