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सत्याग्रही कैदी छोड दिये जायेंगे" हालांकि आपका तार पहुंचने के पहले ही अधिक लोगों को समाधान की खबर वर्तमान पत्रों द्वारा पहुंच गई थी, जिससे आपकी भविष्य वाणी हास्यास्पद बनी थी।
कभी कभी आप तेजी मंदी की भविष्य-वाणियां भी किया करते हैं, पर ये बातें अपने विश्वास पात्र भक्तों तक ही पहंचती हैं, सर्वसाधारण को ये बातें मालूम नहीं होतीं, आपकी व्यापार सम्बन्धी भविष्य वाणियां फी सदी पंचनावें गल्त निकलती हैं और इनके विश्वास पर व्यापार करने वालों का कत्ल होता है, कम से कम पन्द्रह आदमियों को मैं जानता हूँ कि जिन्होंने इनके कहने मुजब सट्टा करके लाखों का नुकसान उठाया और अपने व्यवहार को बट्टा लगाया है, आपकी व्यापारिक तेजी मंदियों के संबंध में एक भुक्त भोगी ने तो यहां तक कह डाला कि “अगर धन कमाना हो तो शान्तिविजयजी कहें उससे उल्टा चलना चाहिये, वे तेजी बतावें तो मंदी में रहना और मंदी बतावें तो तेजी में, क्योंकि जितनी भी बार इन्होंने हमें तेजी का व्यापार करवाया उतनी बार मंदी हुई और मंदी बताई तब तेजी, हम तो डूब गये पर दूसरे भाई इनकी बातों में प्राकर न डूबें इस वास्ते हमारी यह सूचना है।"
सं० १९८१ के मिगसर मास की बात है, आपने अपने तत्कालीन सेक्रेटरी चम्पकलाल से अर्जन्ट तार करवाकर एक मारवाडी गृहस्थ को अपने पास आबू बुलवाया और कहा-हमारे कहने मुजब तुम व्यापार करो" गृहस्थ ने स्वीकार किया फिर आपने कहा-' इस व्यापार में तुमको तीन लाख रुपया मिलेगा" गृहस्थ ने कृतज्ञता प्रकट की, आपने कहा-परन्तु इस नफे का आधा हिस्सा हम कहेंगे वहां देना होगा, गृहस्थ ने यह भी स्वीकार किया परन्तु आपको उसकी मौखिक बातों पर भरोसा न आया, बोले-"तुम स्टाम्प वाले पाने पर लिख दो कि इस व्यापार में जो कमाऊँगा, उसका प्राधा गुरुदेव शान्तिविजयजी कहेंगे उस काम में खर्च करूंगा, गृहस्थी ने लिख दिया", आपने उसे दो दिन अपने पास रखकर रुई और चांदी
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