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३०८ "संवत् १६६३ की बात है, बम्बई-दादर के जैन संघ ने धनारी के श्री पूज्यजी से प्रतिष्ठा का मुहूर्त पूछा था, श्री पूज्यजी ने १९६३ के ज्येष्ठ वदि ७ का दिन बताया, दादर के श्रावकों ने इस बारे में शान्तिविजयी से भी पूछा तो इन्होंने लिखा ज्येष्ठ वदि ७ का मुहूर्त ठीक नहीं है, क्योंकि कृष्ण पक्ष है। जब श्री पूज्यजी को यह बात पहुंची तो उन्होंने इन्हें शास्त्रार्थ के लिए आह्वान किया, पर योगीजी ने उनको कोई उत्तर नहीं दिया, श्री पूज्यजी ने अपना आदमी इनके पास भेजकर खुलासा मांगा, तो आपने इतना ही कहा कि मैं इस विषय में कुछ नहीं जानता, जब उन्हें उनकी तरफ से दादर के संघ पर लिखा हुआ पत्र दिखाया गया तो उत्तर दिया-कि पत्र मेरा लिखा हुआ नहीं है।"
इस प्रकार के अन्य भी बहुत से उदाहरण हैं जिनसे योगीजी की मुहूर्त विषयक अल्पज्ञता और खटपटी प्रकृति का परिचय मिलता है।
योगीजी की भविष्य वाणियां योगीजी कभी कभी भविष्यवाणी भी किया करते हैं, जो कि आज तक आपकी कोई भविष्य वाणी सही उतरी हो ऐसा नहीं सुना।
कुछ वर्षों पहले की बात है, आपने स्वराज्य प्राप्ति के विषय में भविष्य वाणी "बम्बई समाचार' में छपवाई थी, जिसमें अमुक वर्ष (शायद सन् १९३३) के अमुक महीने की अमुक तारीख को अमुक बजकर अमुक मिनिट और अमुक सेकिण्ड पर हिन्दुस्तान को स्वराज्य प्राप्त होगा, ऐसा लिखा था, पर आपकी वह और दूसरी भी स्वरोज्य प्राप्ति सम्बन्धी भविष्य वाणियां आबाद झूठी पडी थीं।
__ वायसराय लॉर्ड इरविन और गांधीजी के बीच जब समझौते होकर कैदी छोड़ने का तय हुआ था, उसके दूसरे दिन योगीजी ने आबू रोड से दो सौ गाँवों में तार द्वारा सूचना दिलाई कि "अमुक दिन वायसराय और गांधीजी के बीच समाधान हो जायगा और सब
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