________________
मनुष्य सामनेवालों को दृष्टिगोचर नहीं होता, योगीजी बहुधा अपना मकान बन्द करके लोगों को मिलते और बातें करते हैं। कभी कभी आप अकेले भीतर होते हैं और दर्शनार्थीगण बाहर प्रतीक्षा में होते हैं, तब आप उस गुप्त द्वार से निकल कर कहीं अन्यत्र चले जाते हैं और जब वह प्रकट होते हैं, तो लोगों को बड़ा आश्चर्य होता है, क्षण पहले आप मकान में थे, हम बाहर खड़े थे, तब यहां कहां से पधारे ? उस समय योगीजी प्रायः मौन कर लेते हैं, यही नहीं बल्कि इस बात की चर्चा आगे न बढाने के भाव से पूछने वालों को उडाउ जवाब देते हैं और चर्चा बन्द करने का इशारा किया करते हैं। श्रद्धालु भोले लोग इनका अर्थ चमत्कार लगाते हैं, कभी कभी इन गुप्त द्वारों से भीतर के मनुष्य भी निकल जाते हैं और फिर मुख्य द्वार खोला जाता है ।
अफवाहें क्यों उड़ती है---? योगीजी के बारे में साधारण जनता में तरह तरह की अफवाहें उड़ा करती हैं, कोई कहते हैं—आप अदृश्य हो जाते हैं, कोई कहते हैं-आप आकाश में उड़ते हैं, कोई कहते हैं...आप अनेक रूप बना लेते हैं, इत्यादि बातें केवल झूठा प्रचार मात्र है, इनके पास स्थायी रहने वाले मुंजावरों की तरफ से ये फैलाई जाती है, इससे भोले
और स्वार्थी मनुष्य काफी प्रभावित होते हैं, योगीजी इन अफवाओं और झूठी बातों के प्रचारकों पर खुश रहते हैं और उनको आर्थिक सहायता भी पहुंचाया करते हैं, ऐसे खुशामदखोर प्रचारकों को योगीजी के उपदेश से कभी कभी हजारों का तड़ाका लग जाता है।
योगीजी का अध्ययन शान्तिविजयजी के अध्ययन के बारे में भी बेसिर पैर की बातें उडाई जाती हैं, कोई कहते हैं-इनको सरस्वती प्रसन्न हुई है, जिससे बगैर पढे ही सभी सूत्रों की बातें कह देते हैं, कोई कहते हैं-ये योग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org