SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१८ में, शब्दार्णव में तम म सूत्र दूसरे पाद के १८८ हैं, जबकि महावृत्ति में १५८ । श० के प्रथम अध्याय के तीसरे पाद के ४२ सूत्र महावृति से फेरफार वाले हैं, ३० चौकडी चिह्नित शब्दार्णव के सूत्र महा. वृति में वार्तिक रूप में हैं। शब्दार्णव में १२७ सूत्र संख्या है तब महावृत्ति में १०५ सूत्र संख्या है। शब्दार्णव में प्रथम के चौथे पाद में ८३ सूत्रों का मेल महावृत्ति से नहीं मिलता, शब्दार्णव में कुल सूत्र १७४ हैं, जब कि महावृत्ति में १५४ सूत्र प्र० अ० चौथे पाद के हैं। महावृत्ति में २५ सूत्र वात्तिकों के रूप में गिने हैं। ___ शब्दार्णव के दूसरे अध्याय के प्रथम पाद के ६७ सूत्र जो महावृत्ति में अक्षरशः अन्तर वाले हैं, २८ सूत्र महावृत्ति में वार्तिक रूप में मिलते हैं, जिनका चिह्न चौकड़ी है, शब्दार्गव में, तमाम सूत्रा संख्या १५३ है जब कि महावृत्ति में १२३ । ___दूसरे अध्याय के दूसरे पाद के ७६ सूत्रों का अक्षरों में फरक महावृत्ति से है, २४ सूत्र महावृत्ति में वार्तिक रूप में हैं, एवं कुल सूत्र १८२ हैं, जब कि महावृत्ति में १६७ सूत्र हैं । दूसरे के तीसरे पाद के ६७ सूत्रों में महावृत्ति से फरक है, १४ सूत्र वार्तिक रूप में महावृत्ति के हिसाब से है, शब्दार्णव में एकन्दर सूत्र तीसरे पाद के १६७ हैं, जब कि महावृत्ति में १५२ सूत्र हैं। दूसरे के चौथे पाद में ४० सूत्रों में महावृत्ति से अक्षरों में अंतर है, ३ सूत्र वार्तिक रूप में शब्दार्णव में तथा वार्तिक के ही रूप में महावृत्ति के मत से हैं, १०० सूत्र शब्दार्णव में, तथा६६ सूत्र महावृत्ति में हैं। तीसरे अध्याय के प्रथम पाद के ६३ सूत्र फरक वाले महावृत्ति के हिसाब से हैं, ४३ सूत्र वार्तिक रूप में हैं। महावृत्ति के हिसाब से एकन्दर २०६ सूत्र हैं शब्दार्णव में, जब कि महावृत्ति में १५८ सूत्र हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy