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________________ २१६ तीसरे के दूसरे पाद में ३६ सूत्र फरक वाले हैं, ४६ सूत्र वार्तिक रूप में महावृत्ति के मत से हैं, १८७ सूत्र एकन्दर शब्दार्णव में हैं जब कि १४० सूत्र महावृत्ति में । तीसरे के तीसरे पाद में ६३ सूत्र फरकवाले हैं, २५ सूत्र चौकड़ी चिह्नित वार्तिक हैं, एकन्दर २६२ सूत्र शब्दार्गव में हैं जब कि २०८ सूत्र महावृत्ति में हैं । __ तीसरे के चौथे पाद में ६२ सूत्र फरक वाले, तथा २६ सूत्र वार्तिक रूप में, एकन्दर शब्पार्णव में सूत्र २१४, तथा महावृत्ति में १६६। चतुर्थ अध्याय के प्रथम पाद में १०५ सूत्र फरक वाले, तथा २६ सूत्र वार्तिक रूप में, एकन्दर २१८ शब्दार्णव में हैं, जब कि महावृत्ति में केवल १६४ सूत्र हैं । ___चौथे के दूसरे पाद में ७८ सूत्र फरक वाले, १८ सूत्र वार्तिक रूप में, एकन्दर २०२ सूत्रा शब्दार्णव में हैं जब कि महावृत्ति में १५६ सूत्रा हैं। चौथे के तीसरे पाद में १२० सूत्र फरक वाले, जब कि ४८ सूत्र वार्तिक रूप में हैं, तमाम सूत्रा शब्दार्णव के चौथे के तीसरे पाद में ३०३, तथा महावृत्ति में २३४ । ___ चौथे के चौथे पाद में ५७ सूत्र फरक वाले, ७ सूत्र वार्तिक रूप में, एकन्दर १८६ सूत्र शब्दार्णव में और महावृत्ति में १०३ । पांचवें अध्याय के प्रथम पाद में ६० सूत्र फरक वाले हैं, १२ सूत्र वार्तिक रूप में हैं, एकन्दर शब्दार्णव में १८६ सूत्र हैं और महावृत्ति में १७१ हैं। - पांचवें के दूसरे पाद में ३६ फरक वाले, १३ सूत्र वार्तिक रूप में और एकन्दर २१५ सूत्र शब्दार्णव में और महावृत्ति में १६४ । ____ पांचवें के तीसरे पाद में ३६ सूत्र फरक वाले, तथा वात्तिक रूप में १७ सूत्र हैं, एकन्दर, शब्दार्णव में १३६, तथा महावृत्ति में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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