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अध्याय पा० सू०-
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१३ स्त्री गो०
१४ नांशीयसो ०
१५ हृदुप्य.
१६ आदेगे.
१७ अदेङ ेप्
१८ इकस्तौ
१६ नधुखे ०
२० कृङिति
२१ ईदूदेद्.
२२ भः
२३ न्यजनाः
२४ प्रोत्
२५ को dat
२६ उञः
२७ ॐ
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अध्याय पा० सू०
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१३ उच्चनीचा०
१४ व्यामिश्र०
१५ आदप्
१६ अदेङ
१७ इकस्तौ
१८ नधुखै ०
१६ क्ङिति
२० ईदूदेद् ० २१ द्म े:
२२ निरेकाज २३ ओत्
२४ कौ वेतौ
२५ उञः
२६ ऊम्
२७ दाधा०
१ - १ - ४२ पूर्वापरावरदक्षिणो० पूर्वादयो नव-१-१-४२ चन्द्रिका के ४३, ४४, ४५ सूत्र महावृत्ति के ४२वें सूत्र की वृत्ति में ।
०
पृ० १ - महावृत्ति की वृत्ति में “अपुरीति वक्तव्यम्" यह वार्तिक, शब्दार्णव के प्रथम अध्याय के प्रथम पाद में ११६ वां सूत्र है जबकि १०० सूत्र महावृत्ति में है । महावृत्ति में कुछेक वार्तिक रूप में भी मिलते हैं ।
शब्दार्णव के ४० सूत्रों के परस्पर शब्द भेद महावृत्ति से, चौकी चिह्नत २४ सूत्रों का उल्लेख सूत्र रूप में है, पर महावृत्ति में वार्तिक रूप में ।
शब्दार्णव के प्र० अ० द्वितीय पाद के ५४ सूत्रों का शब्दान्तर महावृत्ति से, ३२ सूत्र शब्दार्णव में हैं, वे वार्तिक रूप में महावृत्ति
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