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________________ १६६ विद्यमान सभी जैन आगम लिख लिए थे, इस प्रकार यह दूसरी वाचना मथुरा और वलभी में होने के कारण माथुरी और वालभी इन दो नामों से प्रसिद्ध हुई, परन्तु इन दो वाचनाओं के लेखन में कई स्थानों पर पाठान्तर हो गए थे, इन पाठान्तरों को मिटाने के. पहले ही आर्य स्कन्दिल और आर्य नागार्जुन परलोकवासी हो गए थे और अनुयोग धर आचार्य अपनी अपनी वाचनाओं के अनुसार जैन श्रमणों को सूत्रों का पठन पाठन कराते जाते थे, लगभग १५० वर्षों के बाद जब दोनों श्रमण संघों का सौराष्ट्र में मिलन हुआ तो पता चला कि दो वाचनाओं के भीतर अनेक पाठान्तर हो गए हैं जिनका मिटाना बहुत जरूरी है, यह बात दोनों वाचनाओं के अनुयायियों के मन में बैठ गयी और दक्षिणात्य तथा उत्तरीय संघ के नेताओं ने मिलकर दोनों वाचनाओं का समन्वय करके जहां तक बन सके पाठान्तरों को मिटाने का निश्चय किया और वलभी नगर में दोनों संघ सम्मिलित हुए, इस सम्मेलन में माथुरी वाचना के अनुयायी संघ के नेता श्री देवद्विगणि क्षमा श्रमण थे, तब वलभी वाचना के मानने वाले दाक्षिणात्य संघ के प्रधान आचार्य कालक थे, और उपप्रधान थे गन्धर्ववादि वैताल शान्तिसूरि, दोनों वाचनाओं पर गहरा विचार करने के उपरान्त दोनों संघों के प्रमुखों ने माथुरी वाचना को प्रधानत्व दिया और वलभी वाचना के सूत्रों में जो कुछ पाठान्तर हों उन्हें व्याख्या में सूचित कर देने का निर्णय हुआ और जो ग्रन्थ एक ही वाचना में उपलब्ध हो, उसे वैसा IT वैसा रख देने का निश्चय हुआ, संघ के निर्णयानुसार वलभी वाचना के लगभग सभी पाठान्तर सूत्रों की व्याख्यानों में "नागार्जुनीयास्तु एवं पठन्ति" इत्यादि प्रकार से टीकाओं में सूचित कर दिये, परन्तु एक जबरदस्त पाठान्तर ऐसा आया जो किसी प्रकार से हल नहीं हो सका, वह पाठान्तर था कालगणना सम्बन्धी, सभी सूत्र लिखे जा चुके थे, लगभग आधा पयुर्षणाकल्प भी लिख लिया था, जब श्रमण भगवान महावीर के चरित्र के अन्त में उनके निर्वाण का समय सूचित करने का प्रसंग आया, तब आचार्य श्री देवद्विगणि क्षमा श्रमण की गणना से दसवें शतक का अस्सी वां वर्ष चल रहा था, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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