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________________ ( एक अवलोकन ) ले● पं० कल्याणविजय गरणी : है : "सिद्धचक्र महापूजा” "अर्थात् " सिद्धचक्रयन्त्रोद्धार पूजन विधि पिछले कितने वर्षों से हमारे श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय में एक नया पूजन - विधान प्रचिलत हुआ है, जिसे साधारण जनता "सिद्धचक्र महापूजा " इस नाम से पहिचानती है । इस विधान को बतलाने वाली पुस्तक की अब तक दो प्रावृत्तियाँ निकल चुकी हैं। प्रथमावृत्ति वाली पुस्तक की पट्टडियों पर "श्रीसिद्धचक्र - बृहत् पूजन विधि ” इस प्रकार नाम छपा है और पुस्तक के टाइटिल पेज पर "श्रीसिद्धचक्र - यन्त्रोद्धार - पूजन विधि ” यह नाम मुद्रित है । दूसरी प्रावृत्ति वाली पुस्तक की पट्टडियों पर “श्रीसिद्धचक्र -यन्त्रोद्धार पूजन विधि : " यह नाम मुद्रित है, और टाइटिल पेज पर भी यही नाम कायम रखा है । इस प्रकार ग्रन्थ के नाम परिवर्तन से यह मालूम होता है कि ग्रन्थ का नाम प्राचीन नहीं बल्कि नव-निर्मित है। यह पूजन विधि का ग्रन्थ सम्पादकों को यथार्थ रूप में प्राप्त नहीं हुआ है, प्रकाशकीय निवेदन से भी इतना तो स्पष्ट हो ही गया है कि इस का प्रथम - पत्र प्रथमावृत्ति के समय उपलब्ध नहीं हुआ था । इसी कारण से प्रथमावृत्ति में प्रथम चतुविशति के प्रथम के कतिपय इलाक नहीं छप सके हैं, द्वितीयावृत्ति में प्रथम चतुर्विंशतिका पूरी मुद्रित है, परन्तु इसका स्पष्टीकरण नहीं मिलता कि ये प्राथमिक श्लोक पुस्तक के प्रथम पत्र के उपलब्ध होने से मिले हैं, अथवा संशोधक ने इन्हें बनाकर पूर्ति की है ? उपर्युक्त असंगतियों के उपरान्त इसमें कुछ ऐसे भी उद्धरण दृष्टि गोचर होते हैं, जो प्रस्तुत पूजन विधि के मूल लेखक के न होकर इस विधि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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