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३३० :
निबन्ध-निचय
(२६) संवर्त-स्मृति : इसमें २३० श्लोक हैं ।
(२७) बौधायन-स्मृति : इसमें १६६५ श्लोक हैं; चार प्रश्नों में पूरी हुई है । जिसको समाप्ति में ''बौधायनधर्मशास्त्रम् समाप्तम्" ऐसा उल्लेख है। यह वास्तव में धर्मशास्त्र ही है, चार वर्ण के धर्म तथा प्राचार का इसमें बहुत ही विशद रूप से वर्णन किया गया है। यह स्मृति अन्य स्मृतियों की अपेक्षा विशेष प्राचीन ज्ञात होती है ।
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