________________
निबन्ध-निचय
(६) गोभिल - स्मृति :
इस स्मृति के तीन प्रपाठकों और कण्डिकाओं के मिलकर ४६१
३२८ :
श्लोक हैं ।
(७) दक्ष-स्मृति :
इस स्मृति के सात अध्याय हैं और कुल श्लोक २२१ हैं । (८) देवल स्मृति :
देवल स्मृति में कुल ६० श्लोक हैं। यह प्राचीन भी ज्ञात होती है । (६) प्रजापति - स्मृति :
इस स्मृति में कुल १६८ श्लोक हैं । स्मृति में एक स्थान पर दिन-वार का उल्लेख होने से यह स्मृति नवमी शती के आसपास की अथवा पीछे की भी हो सकती है ।
(१०) बृहद्यम-स्मृति :
इस स्मृति में १८२ श्लोक हैं तथा ५ अध्याय हैं । (११) बृहस्पति - स्मृति :
इस स्मृति में ८० श्लोक हैं तथा पुरानी भी लगती है । (१२) यम- स्मृति :
इस स्मृति में ६६ श्लोक हैं ।
(१३) लघु विष्णु - स्मृति : इसमें ११४ श्लोक हैं तथा ५ अध्याय ।
(१४) लघु शंख -स्मृति :
इसमें ७१ श्लोक हैं ।
(१५) (लघु) शातातप- स्मृति :
इसमें १७३ श्लोक हैं ।
Jain Education International
(१६) लघु हारीत - स्मृति
इसमें ११७ श्लोक हैं ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org