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________________ : ४३ : स्मृति समुच्चय स्मृतिसमुच्चय पुस्तक में कुल २७ स्मृतियाँ हैं, जिनके अवलोकन का पार क्रमशः नीचे मुजब है (१) अंगिरा-स्मृति : अंगिरा-स्मृति प्राचीन मालूम होती है, १६८ श्लोकों में समाप्त हुई है। (२) अत्रि-संहिता : अत्रि-संहिता यों तो प्राचीन ही ज्ञात होती है, फिर भी अंगिरा-स्मृति के पीछे की ही हो सकती है। इसका कर्ता दाक्षिणात्य ब्राह्मण हो तो आश्चर्य नहीं, क्योंकि एक स्थल पर मागध, माथुर, कानन (कान्य-कुब्जी) आदि ५ ब्राह्मणों को अपूज्य होने का उल्लेख किया है। इस संहिता में कुल ४०० पद्य हैं। (३) अत्रि-स्मृति : अत्रिस्मृति में कुल अध्याय ६ और श्लोक १५४ हैं । (४) आपस्तम्ब-स्मति : आपस्तम्ब-स्मृति में कुल अध्याय १० और श्लोक २०१ हैं । (५) औशनस-स्मृति : इस स्मृति में कुल ५१ श्लोक हैं। इसमें चार वर्ण के स्त्री-पुरुषों के अनुलोम प्रतिलोम संयोग से उत्पन्न होने वाली अनेक जातियों का निरूपण किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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