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प्रमाण-परीक्षा
प्रमाण - परीक्षा में भिन्न-भिन्न दार्शनिकों के मान्य प्रमारणों की चर्चा करके सत्य ज्ञान को प्रमाण सिद्ध किया है । इस परीक्षा में ग्रन्थकार ने भट्टारक कुमारनन्दि, अकलंकदेव आदि आचार्यों के मत उद्धृत किये हैं और न्यायवार्तिककार उद्योतकर, बौद्ध श्राचार्य धर्मोत्तर समन्तभद्र, शाबर भाष्य, प्रभाकर, भट्ट, बृहस्पति, करणाद आदि ग्रन्थकारों के भी उल्लेख किये हैं ।
ले० : विद्यानन्दो
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श्राचार्य विद्यानन्द ने कुमारनन्दी के नाम के साथ दो स्थानों पर भट्टारक शब्द का प्रयोग किया है । इससे ज्ञात होता है कि विद्यानन्द के समय में "भट्टारक" युग आरम्भ हो चुका था ।
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