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निबन्ध-निचय
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ग्रन्थकार ने अपने ग्रन्थ में अनेक वादों की चर्चा कर उनका खण्डन किया है | स्फोटवाद का तो बहुत ही विस्तार के साथ निराकरण किया है । इतना ही नहीं किन्तु सूक्ष्मा, पश्यन्ती, मध्यमा और वैखरी नामक शाब्दिकों की चार भाषाओं की चर्चा करके उनका खण्डन किया है ।
बौद्धों के अन्यापोहवाद की काफी चर्चा करके उसका खण्डन किया है ।
वादी प्रतिवादी के शास्त्रार्थं सभा का निरूपण तथा उनके जय, पराजय के कारणों का विशद वर्णन किया है ।
केवली के कवलाहार मानने वालों को दर्शनमोहनीय कर्म बांधने वाला माना है । परन्तु स्त्री उसी भव में मोक्ष पा नहीं सकती इसकी चर्चा कहीं नहीं दीखती ।
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