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“मूलाचार” ग्रन्थ प्राकृत गाथाबद्ध १२ अधिकारों में पूरा किया गया है । बारह अधिकारों के नाम तथा गाथासंख्या निम्न प्रकार से है
(१) मूलगुणाधिकार
(२) बृहत्प्रत्याख्यान - संस्तर-स्तवाधिकार
(३)
संक्षेप - प्रत्याख्यानाधिकार
( ४ )
(५)
(६)
( ७ )
(८)
( ९ )
सामाचाराधिकार
पंचाचाराधिकार
पिण्डशुद्धि - अधिकार
षडावश्यकाधिकार
द्वादशानुप्रेक्षाधिकार
अनगार - भावनाधिकार
: २६ :
मूला चार सटीक
(१०) समय-साराधिकार
(११) शील- गुणाधिकार पर्याप्तत्यधिकार
(१२)
ऊपर लिखे अनुसार बारह अधिकारों में क्रमशः ३६-७१-१४-७७ -२२२-८३-१९३-७६-१२५-१२४-२६ - २०६ गाथा संख्या है, जो सम्मिलित संख्या १२३० होती है । इसके कर्त्ता "वट्टकेर" अथवा "वट्टकेरल" बताये जाते हैं । इस ग्रन्थ पर टीकाकार सिद्धान्तचक्रवर्ती प्राचार्य वसुनन्दी हैं । इनका सत्तासमय ज्ञात नहीं है, फिर भी इनके कतिपय उल्लेखों से ये धारणा से भी अधिक अर्वाचीन प्रतीत होते हैं ।
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