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निबन्ध-निचय
पुरुष 'जयसिंह सूरि', 'अभयदेव सूरिजी' और 'हेमचन्द्र सूरि' ये महान् विद्वान होने के अतिरिक्त महान त्यागी तथा राज-मान्य भी थे।
प्राचार्य हेमचन्द्र के चार विद्वान् शिष्य थे, पहले श्रीचन्द्र सूरि, दूसरे विबुधचन्द्र सूरि, तीसरे पद्मचन्द्र उपाध्याय और चौथे श्री लक्ष्मण गरिण।
श्री लक्ष्मण गणि ने अपने उपर्युक्त तीन गुरु-भ्राताओं की प्रेरणा से प्रस्तुत "सुपार्श्वनाथचरित्र" का निर्माण किया है, ग्रन्थकर्ता ने इसमें रही हुई क्षतियों को सुधारने के लिए प्रार्थना की है जो एक शिष्टाचार रूप है, क्योंकि आपकी यह कृति निर्दोष और विद्वद्भोग्य है, प्राकृत के अभ्यासियों को इसके पढ़ने से आनन्द आने के साथ, प्राकृत भाषा का ज्ञान विशद होने का भी लाभ मिल सकता है ।
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