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: २१ : मारवाड़ की सबसे प्राचीन जैन मूर्तियाँ
लेखक-मुनि कल्याणविजयजी
१. उत्थान : यों तो मारवाड़ में अनेक जगह प्राचीन जैन मूर्तियां विद्यमान होंगो, परन्तु आज तक हमने जितनी भी धातुमयी और पाषाणमयी जैन मूर्तियों के दर्शन किये उन सब में पिण्डवाड़ा (सिरोही) के महावीर स्वामी के मन्दिर में रही हुई कतिपय सर्व धातु की मूर्तियाँ अधिक प्राचीन हैं ।
पहले पहल हमने संवत् १९७८ के पौष सुदि ७ के दिन इन मूर्तियों के दर्शन किये थे और कुछ मूर्तियों के लेख तथा तत्सम्बन्धी जरूरी नोट भी लिख लिये थे; परन्तु इनके विषय में लिखने की इच्छा होने पर भी कुछ लिखा नहीं जा सका। कारण यह था कि उनमें की सबसे प्राचीन एक मूर्ति पर जो लेख था वह पूरा पढ़ा नहीं गया था। यद्यपि उसका प्रथम और अन्तिम पद्य-संवत् स्पष्ट पढ़ा गया था, परन्तु अक्षरों के घिस जाने के कारण बिचले दो पद्य पढ़े नहीं जा सके थे और इच्छा, लेख पूरा पढ़कर कुछ भी लिखने की थी।
इस साल गत आषाढ़ वदि ६ के दिन फिर हमने प्रस्तुत मूर्तियों के दर्शन किये और उनके सम्बन्ध में फिर भी कुछ बातें नोट की। बाद में वहीं पर सुना कि 'कोई ४-५ दिन पहले ही रायबहादुर महामहोपाध्याय पण्डित गौरीशंकरजी अोझा यहाँ की इस प्राचीन कार्योत्सर्गिक मूर्ति का लेख ले गये हैं, यह सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई। पण्डितजी से लेख की नकल मंगवा लेने के विचार से इस बार उक्त लेख पढ़ने का हमने प्रयत्न ही नहीं किया।
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