________________
१२२ :
निबन्ध-निचय
प्रवृत्तियों से बाज आयेंगे, अन्यथा इस प्रकार की अनुचित प्रवृत्तियों का भण्डाफोड़ करना पड़ेगा। हमारी आन्तरिक इच्छा है कि इससे आगे एक कदम भी हमें न बढ़ाना पड़े।
आज तक हमारे पढ़े और जाँचे हुए ग्रन्थों में से उपर्युक्त चौदह (१४) ग्रन्थों को "कृत्रिम कृतियों' के नाम से जाहिर किया है। इन सब के कृत्रिम होने के हमारे पास प्रमाण विद्यमान होते हुए भी हमने उनका उपयोग नहीं किया। क्योंकि यह प्राथमिक अवलोकन लेख है । इसमें सभी प्रमाणों का उपन्यास करने से एक बड़ा प्रबन्ध बन जाने का भय है जो हमको इष्ट नहीं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org