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________________ निबन्ध-निचय सूत्रों, श्रमण प्रतिक्रमण सूत्रों को संस्कृत व्याख्या के साथ "धर्मसंग्रह" के अन्तर्गत किया है, जिस की कोई आवश्यकता नहीं थी, आपने इन सब सूत्रों को ग्रन्थ के अन्तर्गत ही नहीं किया किन्तु इन पर अवचूरि तक लिख डाली है। ग्रन्थ का कलेवर बढ़ने का यह भी एक कारण है। "धर्मसंग्रह" में कुल चार अधिकार हैं-(१) सामान्य गृहि-धर्म (२) विशेष गृहिधर्म (३) सापेक्ष यतिधर्म (४) निरपेक्ष यतिधर्म। "धर्मसंग्रह" के इन चार अधिकारों में से अन्तिम अधिकार केवल १३ पेजों में पूरा हुग्रा है, यह अधिकार यदि तीसरे अधिकार के अन्तर्गत कर दिया जाता तो विशेष उचित होता। उपाध्यायजी ने विस्तार का लोभ न कर विषयों का निरूपण करते समय ग्रन्थ को सुगम बनाने का ध्यान रखा होता तो पढ़ने वालों के लिए विशेष उपयोगी होता, आज इसका एक भी अन्तर्गत विषय ऐसा नहीं है जो इसके पढ़ने वालों को इस ग्रन्थ के आधार से समझकर उसे क्रियान्वित कर सके, उदाहरण स्वरूप “संस्तारक पौरुषो” को ही लीजिये। इनके समय में संथारा पौरुषी का क्या स्वरूप था, इसको कोई जानना चाहे तो जान नहीं सकता। इसी प्रकार अधिकांश बातें विस्तार के आटोप के अंधकार में आवृत हो गई हैं, जो सामान्य पढ़ने वाला चिन्तित सफल कार्य में प्रवृत्त नहीं हो सकता। ग्रन्थ में उपाध्याय श्री यशोविजयजी के परिष्कार कहीं-कहीं दिये गए हैं। इन परिष्कारों की इसके अन्तर्गत करने की आवश्यकता थी ऐसा कोई कारण प्रतीत नहीं होता, क्योंकि ऐसा एक भी परिष्कार हमारे दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि जिसके न देने पर ग्रन्थ का वह स्थल अशुद्ध अथवा तो अस्पष्ट रहता, न्यायाचार्यजी के संशोधन के उपरान्त भी ग्रन्थ के कोई-कोई शब्द जो खास परिभाषिक हैं उनका अर्थ यथार्थ नहीं हया, यह दुःख का विषय है। उपाध्याय श्री यशोविजयजी ने मैत्र्यादि चार भावनाओं का जो अपने परिष्कार में अर्थ किया है, वह हमारी राय में वास्तविक नहीं है, क्योंकि मैश्यादि भावना-चतुष्टय मूल में जैनों के घर की चीजें नहीं हैं, किन्तु ये चारों भावनाएँ परिव्राजकों और बौद्धों के घर को थाती हैं, प्राचार्य श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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