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२. दलगत राजनीति से मुक्ति ३. अनैतिकता से मुक्ति ।" उन्होंने अपने साहित्य में शिक्षा के सबका समाकलन किया जाए तो अनायास सकता है ।
भविष्य की चेतावनी
आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
आचार्य तुलसी ऐसे व्यक्तित्व का नाम है, जो वर्तमान में जीते हैं और भविष्य पर अपनी गहरी नजरें टिकाए रखते हैं। यही कारण है कि उनकी पारदर्शी दृष्टि आने वाले कल को युगों पूर्व पहचान लेती है । अपने प्रवचनों में वे भविष्य में आने वाले खतरों एवं बाधाओं से आगाह करते हुए उससे बचने का संदेश भी समाज को बराबर देते रहते हैं ।
सन् १९५०, दिल्ली के टाउन हाल में प्रबुद्ध एवं पूंजीपति लोगों को भविष्य की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा -- "एक समय था जबकि हिंदुस्तान के बहुत बड़े भाग में राजाओं का एक छत्र शासन था किन्तु समय के अनुकूल न चलने के कारण जनता ने उन्हें पछाड़ दिया । राजाओं के बाद धनिकों पर भी युग का नेत्रबिंदु टिक सकता है और उसका सम्भावित परिणाम भी स्पष्ट है । ऐसी स्थिति में उन्हें सोचना चाहिए कि जो बड़प्पन और आत्मगौरव स्वेच्छापूर्वक त्याग में है, डंडे के बल से छोड़ने में नहीं है ।"" आज आसाम और बंगाल की विषम स्थितियां तथा धनिकों को दी जाने वाली चेतावनियां उनकी ४३ साल पूर्व कही बात को सत्य साबित कर रही हैं ।
आज राजनीतिज्ञ लोग निःशस्त्रीकरण और अहिंसा के विकास की बात सोच रहे हैं पर आचार्य तुलसी ने सन् १९५० में दिल्ली की विशाल सभा में अहिंसा के भविष्य की उद्घोषणा करते हुए कहा - " वह दिन आने वाला है, जब पशुबल से उकताई दुनिया भारतीय जीवन से अहिंसा और शांति की भीख मांगेगी ।"
१. एक बूंद : एक सागर, पृ० १३४६
२ १९५०, टाउन हाल, दिल्ली १. सन १९५०, दिल्ली
इतने पहलुओं को छुआ है कि उन ही पूरा शोधप्रबन्ध लिखा जा
प्रवचन को भाषा शैली
आचार्य तुलसी की प्रवचन साधना किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं है। उन्होंने समाज के लगभग सभी वर्गों को सम्बोधित किया है, इसलिए पात्र - भेद के अनुसार संप्रेषणीयता की दृष्टि से उनके प्रवचनों की भाषा-शैली में अन्तर आना स्वाभाविक है, साथ ही समय की गति के अनुसार भी उन्होंने अपनी भाषा में परिवर्तन किया है। वे स्वयं इस बात को स्वीकार करते हैं।
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