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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन
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पड़ेगा
वे इस बात को अपने
पृथ्वी पर ही किसी को भगवान् बनना प्रवचनों में बार-बार दोहराते रहते हैं कि किसी भी समस्या या प्रश्न को इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता कि वह जटिल है । विबेक इस बात में है कि हर जटिल पहेली को सुलझाने का प्रयत्न किया जाए। इसी अडोल आत्मविश्वास के कारण उन्होंने अपने साहित्य में हर कठिन समस्या को समाधान तक पहुंचाने का तीव्र प्रयत्न किया । वे अनेक बार यह प्रतिबोध देते हैं"संसार की कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका समाधान न किया जा सके । आवश्यकता है अपने आपको देखने की और किसी भी परिस्थिति में स्वयं समस्या न बनने की ।" उनके साहित्य में देश, समाज, परिवार एवं व्यक्ति की हजारों समस्याओं का समाधान है। उनके कदमों में कहीं लड़खड़ाहट, शंका, थकावट या बेचैनी नहीं है । यही कारण है कि उनके हर कदम, हर श्वास, हर वाक्य तथा हर मोड़ में नया आत्म-विश्वास झलकता है ।
मनोवैज्ञानिकता
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आचार्य तुलसी महान् मनोवैज्ञानिक हैं । वे हजारों मानसिकताओं से परिचित हैं इसलिए उनके प्रवचन में सहज रूप से अनेकों मनोवैज्ञानिक तथ्य प्रकट हो गए हैं ।
हजारीप्रसाद द्विवेदी का मानना है कि जो साहित्यकार मानव मन को fe और चलित करने वाली परिस्थितियों की उद्भावना नहीं कर सकता तथा मानवीय सुख-दुःख को पाठक के समक्ष हस्तामलक नहीं बना देता, वह बड़ी सृष्टि नहीं कर सकता ।"
dea बड़े मनोवैज्ञानिक हैं इसका अंकन निम्न घटना से गम्य हैएक बार पदयात्रा के दौरान रूपनगढ़ गांव में सेवानिवृत्त एक सेना के अफसर से आचार्य श्री वार्तालाप कर रहे थे। इतने में एक जैन भाई वहां आया और कान में धीरे से बोला यह आदमी शराब पीता है अतः आपके साथ बात करने लायक नहीं है । पर आचार्यश्री उस अफसर से बात करते रहे । आचार्यश्री की प्रेरणा से उस भाई ने दस मिनिट में शराब छोड़ दी। थोड़ी देर बाद आचार्यश्री उस जैन भाई की ओर उन्मुख होकर पूछने लगे । 'आप व्यापार तो करते होंगे ?' वह बोला -- 'यहां मेरी दुकान है । मैं घी तेल का व्यापार करता हूं ।' यह बात सुन मैंने पूछा- 'आप तो जैन हैं। घी तेल में मिलावट तो नहीं करते हैं ?' वह बोला- 'महाराज ! हम गृहस्थ हैं ।' मेरा दूसरा प्रश्न था --- ' तोल -माप में कमी - बेशी तो नहीं करते ?' वह बोला'महाराज ! आप जानते हैं । व्यापार में यह सब तो चलता है ।' मैंने
१. एक बूंद : एक सागर, पृ० १४९१-९२ २. हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली, भाग ७, पृ० १७७
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