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मा० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
अनागत का स्वागत' पुस्तक में 'युवापीढी का उत्तरदायित्व' लेख को गद्यकाव्य का उत्कृष्ट नमूना कहा जा सकता है। इसमें कसी मंजी शैली में रूपक के माध्यम से इतनी मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है कि हर युवक एक बार स्पंदित हो जाए।
यद्यपि आचार्य तुलसी ने सलक्ष्य इस कोटि के निबन्धों की रचना बहुत कम की है। पर 'समता की आंख चरित्र की पांख' जैसी कृतियों को गद्यकाव्य की कोटि में रखा जा सकता है। भेंट-वार्ता
यह हिन्दी गद्य की सर्वथा नवीन विधा है । साहित्य, राजनीति, दर्शन, अध्यात्म, विज्ञान आदि किसी भी क्षेत्र की महान विभूति से मिलकर किसी समस्या एवं प्रश्नों के संदर्भ में उनके विचार या दृष्टिकोण को जानने या उन्हीं की भाषा-शैली तथा भाव-भंगिमा में व्यक्त करने की साहित्यिक रचना भेट-वार्ता है । भेंट-वार्ता महान् और लघु के बीच ही शोभा देती है । लघु के हृदय की श्रद्धाभावना देखकर महान् के हृदय में सब कुछ समाहित करने की भावना जाग उठती है । पर कभी-कभी दो भिन्न क्षेत्रों की विभूतियों के मध्य वार्तालाप भी इस विधा के अंतर्गत आता है। कभी-कभी काल्पनिक इन्टरव्यू भी इस विधा में समाविष्ट होते हैं। इसमें अपनी कल्पना से किसी साहित्यकार को अवतीर्ण कर उनसे स्वयं ही प्रश्न पूछकर उत्तर देना बड़ा ही रोचक होता
यद्यपि आचार्य तुलसी ने किसी व्यक्ति का इन्टरव्यू नहीं लिया पर उनके साथ हुए विशिष्ट व्यक्तियों के साक्षात्कार उनके साहित्य में प्रचुर मात्रा में है । लगभग सभी राष्ट्रनेताओं एवं बुद्धिजीवियों के साथ उनकी वार्ताएं हुई हैं, कुछ प्रकाशित हैं तथा कुछ अभी भी अप्रकाशित हैं।
'जैन भारती' में राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तियों के बीच हुई लगभग ५० वार्ताएं प्रकाशित हैं। पर वे अभी पुस्तक के रूप में प्रकाशित नहीं हुई हैं। यात्रा-वृत्त
__ यात्रा का अर्थ है-एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। यात्रा वृत्तांत में यात्रा के दौरान अनुभूत प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं सामाजिक तथ्यों का चित्रण किया जाता है । यात्रावृत्त की दृष्टि से कुछ ग्रंथ काफी प्रसिद्ध हैं। जैसे राहुल सांकृत्यायन का 'मेरी तिब्बत यात्रा', डा० भगवतीशरण उपाध्याय का ‘सागर की लहरों पर', धर्मवीर भारती का 'ढेले पर हिमालय' तथा नेहरू का 'आंखों देखा रूस' और रामेश्वर टांटिया का 'विश्व यात्रा के संस्मरण' आदि।
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