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________________ २९८ आपको कैसा बनना है ? आपद्धर्म दुर्बलता का प्रतीक है आराधक अवश्य बनें आर्थिक विषमता का मूल - अविवेक आवरण आस्तिक नास्तिक र आस्तिक नास्तिक की पहचान आस्तिक और नास्तिक की भेद रेखा उ णो माय उत्कृष्ट मंगल -- धर्म १ आस्था का केन्द्र आहार विवेक इच्छाओं का अल्पीकरण इन्द्रियों को दबाओ मत, उनका समाधान करो उत्तम मंगल और शरण* उन तथाकथित धार्मिकों को आस्तिक कैसे बनाया जाए ? उपदेश किसके लिए ?" उपासक, उपास्य और उपासना उपासना ऊंच-नीच ईश्वर - निर्मित नहीं ऊंचाई का मार्ग ऊंचे लक्ष्य के लिए ऋजु मार्ग एक असाधारण महामानव : आचार्य भिक्षु' एकता का आधार एकता शासन का अथ है एक दिशासूचक आंदोलन एक बुनियादी सवाल एक विवेक Jain Education International १. २७-१०-६८ मद्रास । २. २००९ कार्तिक बदी सरदारशहर । ३. ५-१०-६७ अहमदाबाद । आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण ३० मई ७१ २६ जून ६६ २४ नव० ६८ ३१ जुलाई ६६ ५ जन० ६४ २७ अग० ५३ २१ अग० ६१ ६ जुलाई ६९ १० अग० १९ १८ अक्टू० ६४ २२ अग० ७१ २४ जून ६२ ३ अक्टू० ६५ ७ सित० ६९ २९ अप्रैल ५६ सप्तमी ११ जुलाई ६५ २२ जुलाई ६९ ३१ मई ५९ ६ मार्च ६० २२ जुलाई ७३ २८ अप्रैल ६३ मई ७० ८ मार्च ७० ८ मार्च ७० For Private & Personal Use Only २५ नव० ६२ जून ६१ २० अक्टू० ६३ अग० ७० वि० अक्टू० ४७ ४ ४. १२-४-५६ सुजानगढ़ । ५. २८-९-६७ अहमदाबाद । ६. १७-७-६७ अहमदाबाद । www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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