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________________ परिशिष्ट २ २९९ एक वृक्ष की दो शाखा एषणा एक ही सिक्के के दो बाजू ऐक्य , अनुशासन एवं संगठन ऐकान्तिक आनंद का हेतु कन्याएं क्रांति करें कर्तव्य-निष्ठा कर्तव्य भावना कर्नाटक में जैन धर्म कर्म : आवरण और निवारण कर्म और अकर्म : एक समाधान कर्म क्या है ? कर्म पर धर्म का अंकुश हो कर्म मुक्ति के साधन : स्वाध्याय और ध्यान कर्मों से अच्छा और बुरा कला और जीवन-विकास कलियुग-सतयुग कहना-सुनना-समझना काम वासना का अनुद्दीपन और निर्मूलन कार्यकर्ता अपना आत्मनिरीक्षण करें कार्यकर्ता निष्ठावान् बनें काल का मूल्य आंके कुरूढ़ियों पर प्रहार केवल दृष्टिकोण की बात कोई खाली हाथ न लौटे क्या तेरापंथ में कुआं खुदवाने का निषेध है ? क्या मोक्ष के रास्ते बंद हैं ? क्या राजनीति का अपना कोई चरित्र नहीं ? क्या हिंसात्मक उपद्रव और तोड़-फोड़ राष्ट्रीयता है ? ८ अग० ७० मार्च ७१ २ जुलाई ६३ १२ जुलाई ६४ ४ अक्टू० ७० २८ अग० ६० १ नव० ७० ९ मई ७१ ११ अग० ६८ ७ जून ७० २९ अप्रैल ८१ २९ जन० ७७ २३ अक्टू. ६६ २१ मार्च ७१ १९ अक्टू० ६९ अक्टू० ६८ १० मार्च ६८ २ फर० ६९ ३० जन०७२ १९ मई ५७ ३१ अग० ५८ २० फर० ७२ १३ जून ७१ ४ नव० ५६ ७ अक्टू० ६२ २० मई ७३ १२ अक्टू० ६९ १९ दिस० ७९ १५ अक्टू० ६७ १.७ मई, छोटी खाटू। २. ९-११-६७ अहमदाबाद । ३. ३०-८-६८ मद्रास । ४. चूरू, कार्यकर्ता सम्मेलन । ५. ३०-१०-६८ मद्रास। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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