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________________ १६२ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण १६१ १८३ आगे सूरज सूरज प्रवचन ५ प्रवचन ५ भोर भोर समता शांति के प्रवचन १० आ० तु० ज्योति के १०९ १०० २२१ २५० विद्याध्ययन : क्यों और कैसे ?' विद्यार्जन की सार्थकता शिक्षा का सही लक्ष्य' शिक्षा का फलित : साधना ज्ञान का फलित : विनय सत्यं शिवं सुंदरम्' शिक्षा का उद्देश्य विसंगति विकास या ह्रास ? शिक्षा व साधना की समन्विति' जीवन-विकास विद्या जीवन-निर्माण की दिशा बने जीवन-विकास के साधन शिक्षा शिक्षा का फलित आचार ? १२ शिक्षा का कार्य है चरित्र-निर्माण जीवन का सौन्दर्य सुधार की शुभ शुरूआत स्वयं से हो१५ शिक्षानुशीलन ज्ञानमंदिर की पवित्रता सा विद्या या विमुक्तये" ६२ १३५ ३१ २४३ १२४ सूरज २५ सूरज भोर प्रवचन ९ सूरज २०६ भोर २९ सूरज आलोक में घर १२४ १. ५-४-६६ विद्यार्थी सम्मेलन, ९. १०-९-७८ गंगानगर । गंगानगर। १०. फाल्गुन शुक्ला १२, वि० स० २. १८-१-५५ मुलुन्द । २००५ गंगा गोल्डन जुबली हाई ३. २७-७-५५ उज्जैन। स्कूल, सरदारशहर। ४. १५-११-७७ लाडनूं । ११. २१-५-५५ धरणगांव । ५. ३-११-७७ ब्राह्मी विद्यापीठ का १२. १५-६-५४ बम्बई (बोरीवली)। __उद्घाटन समारोह, लाडनूं १३. ४-८-५३ जोधपुर । ६. २४-८-५४ बम्बई। १४. ७-८-५५ उज्जैन। ७. १९-८-५४ बम्बई। १५. १७-६-५४ बम्बई (मलाड)। ८. १२-११-५३ टी० सी० टीचर्स १६. ७-८-५५ उज्जैन । ट्रेनिंग स्कूल, जोधपुर । १७. १८-१-५७ पिलाणी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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