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________________ अठाईस ५. प्रगति की पगडंडियां ६. विचारदीर्घा, विचार वीथी ७. मुक्ति इसी क्षण में इसके अतिरिक्त 'दोनों हाथ : एक साथ' संकलित कृति है, पर इसमें कुछ नए लेख भी समाविष्ट हैं । 'नैतिक संजीवन', 'शांति के पथ पर ' ( दूसरी मंजिल ) के कुछ प्रवचन कुछ अन्तर के साथ 'संभल सयाने !' तथा प्रवचन पाथेय भाग - ९ में समाविष्ट हैं । आचार्य तुलसी के अमर संदेश राजपथ की खोज मंजिल की ओर भाग - २ 'राजधानी में आचार्य तुलसी के संदेश' पुस्तक के कुछ प्रवचन 'आचार्य तुलसी के अमर सन्देश' से मेल खाते हैं । आचार्य तुलसी के कुछ महत्त्वपूर्ण लेख स्वतन्त्र रूप से पुस्तिका के रूप में भी छपे हैं। जैसे- 'अशांत विश्व को शांति का सन्देश', 'भ्रष्टाचार की आधारशिलाएं' आदि । यद्यपि ये लेख पुस्तकों में प्रकाशित हैं, पर महत्त्वपूर्ण होने के कारण उनका अलग से परिचय भी दिया गया है । 'अनैतिकता की धूप : अणुव्रत की छतरी', 'धर्म एक कसौटी, एक रेखा' तथा 'दायित्व का दर्पण : आस्था का प्रतिबिम्ब' इन तीन पुस्तकों के लेखों का विषयबद्ध एवं व्यवस्थित रूप से नया संस्करण 'अतीत का विसर्जन अनागत का स्वागत' है । यह मात्र स्थूल जानकारी मैंने पाठकों के समक्ष रखी है, जिससे उनको पुनरुक्ति की भ्रांति न हो । पुनर्मुद्रण में नाम परिवर्तन वाली पुस्तकों के लेखों एवं आपस में पुनरुक्त लेखों को भी इस पुस्तक में अन्तगर्भित करने के निम्न उद्देश्य थे १. इतिहास की सुरक्षा । २. एक पुस्तक न मिलने पर शोध विद्यार्थी दूसरी पुस्तक से अपना कार्य सम्पन्न कर सके । ३. कहीं-कहीं एक ही लेख जो दो भिन्न-भिन्न पुस्तकों में प्रकाशित है यदि उनमें दो मुख्य विषयों का विवेचन है तो उनको अलग-अलग विषय में रख दिया गया है । सम्पादन आचार्य तुलसी एक विशाल धर्मसंघ के अनुशास्ता हैं। समाज एवं राष्ट्र का नेतृत्व करने में भी उन्होंने अपनी शक्ति एवं कर्तृत्व का उपयोग किया है, इसलिए स्वतन्त्र रूप से लिखने का समय उन्हें बहुत कम मिल पाता है । अत: उनके विचारों के संकलन एवं सम्पादन में अनेक हाथों का श्रम लगा है। इन वर्षों में मुख्यतया उनके साहित्य का सम्पादन महाश्रमणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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