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आचार्य तुलसी के जीवन से संबंधित साहित्य
आचार्य तुलसी ने स्वयं तो मानव-चेतना को जगाने के लिए विपुल साहित्य की सर्जना की ही है, पर दूसरों द्वारा उनके जीवन पर लिखा गया साहित्य भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। उन पर लिखे गए साहित्य को हम चार भागों में बांट सकते हैं---
१. जीवनी-साहित्य २. यात्रा-साहित्य । ३. संस्मरण-साहित्य । ४. अभिनन्दन ग्रंथ, पत्र-पत्रिकाओं के विशेषांक एवं स्वतंत्र __ पत्रिकाएं।
यहां हम उन पर लिखे गए ग्रन्थों एवं पुस्तिकाओं का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे शोध विद्यार्थी उनके व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व को जानने के लिए प्रामाणिक स्रोतों का ज्ञान कर सके । जीवनी-साहित्य
आचार्य तुलसी ने अपने प्रत्येक क्षण को जिस चैतन्य एवं प्रकाश के साथ जीया है, वह भारतीय ऋषि परम्परा के इतिहास का महत्त्वपूर्ण अध्याय है । उन्होंने स्वयं ही प्रेरक जीवन नहीं जीया, लोकजीवन को ऊंचा उठाने का जो हिमालयी प्रयत्न किया है, वह भी अद्भुत एवं आश्चर्यकारी है । अपनी कलात्मक अंगुलियों से उन्होंने इतने नए इतिहासों का सृजन किया है कि उन सबका प्रस्तुतीकरण किसी एक ग्रंथ में करना समुद्र को बाहों से तरने का प्रयत्न जैसा होगा । आचार्यश्री के जीवन पर बहुत साहित्य लिखा गया है उनमें जीवनीग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
___ भूतपूर्व राष्ट्रपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन् ने अपनी पुस्तक living with purpose में भारत के १४ महापुरुषों का जीवन अंकित किया है। उसमें एक नाम आचार्यश्री तुलसी का है। इसमें महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन चौदह व्यक्तियों में वर्तमान में एकमात्र आचार्य तुलसी ही अपने कर्तृत्व एवं नेतृत्व से देश और समाज को लाभान्वित कर रहे हैं । राष्ट्रपति जी ने उनके अणुव्रत अनुशास्ता रूप को ही अधिक उभारा है।
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