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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन अपना विश्वास जगा पाएं तो इसमें लगे क्षणों की सार्थकता है।"
इन आलेखों में आध्यात्मिक मूल्यों को पुनरुज्जीवित करने की लेखक की तड़प दर्शनीय है । ये प्रेरक सन्देश भटके व्यक्तियों को भी उजली राहों पर ले जाने में सक्षम हैं तथा आज की भ्रष्ट राजनीति को सही दिशादर्शन देने वाले हैं।
११३ आलेखों का यह संकलन जन-जन के विश्वास को तो जगाएगा ही, साथ ही साथ शाश्वत और सम-सामयिक विषयों पर हमारी ज्ञान-राशि की वृद्धि भी करेगा।
भगवान महावीर महापुरुष देश, काल की सीमा से परे होते हैं। वे समय को अपने साथ बहाकर ले जाने की क्षमता रखते हैं तथा अपने दर्शन से जन-चेतना में एक नई स्फूर्ति भरने का कार्य करते हैं। भगवान् महावीर भारतभूमि पर अवतरित एक ऐसे महापुरुष थे, जिनके व्यक्तित्व में विकास की ऊंचाई एवं विचारों की गहराई एक साथ संक्रांत थी। उनका अपार्थिव चिन्तन आज भी हिंसा से आक्रांत भूली-भटकी मानवता को नया दिशा-दर्शन दे रहा है।
भगवान महावीर के जीवन पर आज तक अनेकों ग्रन्थ प्रकाश में आ चुके हैं। उसी शृंखला में जन्म से परिनिर्वाण तक की घटनाओं को संक्षिप्त शैली में भगवान महावीर' पुस्तक में उभारा गया है। यह पुस्तक बहुत सीधी-सरल भाषा में महावीर के जीवन-दर्शन को प्रस्तुत करती है। हजारों पृष्ठों में जो बात नहीं समझाई जा सकती, वह इस पुस्तक के १३६ पृष्ठों में समझा दी गयी है। अतः महावीर के तेजस्वी व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व को समझने में यह जीवनीग्रंथ आबालवृद्ध के लिए उपयोगी है। .
भोर भई श्रीचन्द रामपुरिया को आचार्यश्री के प्रवचनों का प्रथम संकलनकर्ता कह सकते हैं। उन्होंने सन् ५३ से ५७ में हुए प्रवचनों को 'प्रवचन डायरी, भाग-१, २, ३' में संकलित किया है। 'भोर भई' प्रवचन डायरी भाग-२ का द्वितीय संस्करण है । इस द्वितीय संस्करण में प्रवचन के शीर्षकों में भी अनेक परिवर्तन हुए हैं तथा सामग्री को भी परिवर्धित एवं परिष्कृत कर समय के अनुरूप बनाया गया है । यह पुस्तक 'प्रवचन-पाथेय' की शृंखला का चौदहवां पुष्प है।
इन प्रवचनों में जो सजीवता, कलात्मकता एवं सुबोधता उभरी है, उसका कारण है-उनकी गहरी साधना, अनुभूति की क्षमता एवं जन्मजात संवेदनशील मानस।
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