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आ• तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
है । समग्रदृष्टि से प्रस्तुत कृति तत्त्वज्ञान एवं जीवन-विज्ञान का जुड़वां स्वाध्याय ग्रंथ है। इस पुस्तक का प्रथम संस्करण 'मुक्तिपथ' शीर्षक से प्रकाशित है।
घर का रास्ता 'घर का रास्ता' प्रवचन पाथेय ग्रंथमाला की श्रृंखला में सतरहवां पुष्प है। यह श्रीचन्दजी रामपुरिया द्वारा संपादित प्रवचन-डायरी भाग-३ में संकलित सन् ५७ के प्रवचनों का ही परिवधित एवं परिष्कृत संस्करण है। ९८ प्रवचनों से युक्त इस नए संस्करण में अनेकों विषयों पर सशक्त एवं प्रभावी विचाराभिव्यक्ति हुई है। युग की अनेक समस्याओं पर गम्भीर चिन्तन एवं प्रभावी समाधान है। साथ ही भारतीय संस्कृति के प्रमुख पहलुओं- धर्म, अध्यात्म, योग, संयम आदि की सुन्दर चर्चा है।
निःसन्देह घर के रास्ते से बेखबर दर-दर भटकते मानव का पथदर्शन करने में यह पुस्तक आलोक-दीप का कार्य करेगी और पथ-भटके मानव के लिए मार्गदर्शक बनकर उसके पथ में आलोक बिखेरती रहेगी।
- इन प्रवचनों की भाषा सरल, सहज एवं अन्तःकरण का स्पर्श करने वाली है। इसमें घटनाओं, रूपकों एवं कथाओं के माध्यम से शाश्वत घर तक पहुंचने के लिए कंटीले पथ को साफ किया गया है । अध्यात्मचेता पाठक इस पुस्तक के माध्यम से नैतिक और आध्यात्मिक चेतना का विकास कर सकेगा, ऐसा विश्वास है।
__ जन-जन से आचार्य तुलसी ने अपने प्रवचनों में उन सब बातों का जीवन्त चित्रण किया है, जो उन्होंने अनुभव किया है, देखा एवं सोचा-समझा है। 'जन-जन से' पुस्तक में आचार्य तुलसी के १९ क्रांतिकारी युग-सन्देश समाविष्ट हैं। इन संदेशों में समाज के विभिन्न वर्गों की त्रुटियों की ओर अंगुलिनिर्देश है, साथ ही जीवन को प्रेरक और आदर्श बनाने के सूत्र भी समाविष्ट हैं।
_ 'सुधारवादी व्यक्तियों से' 'धर्मगुरुओं से' 'जातिवाद के समर्थकों से' तथा 'विश्वशांति के प्रेमियों से' आदि ऐसे सन्देश हैं, जिनको पढ़कर ऐसा लगता है कि एक अत्यन्त तपा तथा मंजा हुआ आत्मनिष्ठ और मनोबली योगी ही इस भाषा में दूसरों को प्रेरणा दे सकता है।
आकार में लघु होते हुए भी इस पुस्तक की महत्ता इस बात में है कि ये प्रवचन या सन्देश हर वर्ग के मर्म को छूने वाले तथा रूपांतरण की प्रेरणा देने वाले हैं । सुधारवादी व्यक्तियों को इसमें कितने स्पष्ट शब्दों में प्रेरणा दी गयी है-"जिस बात पर स्वयं अमल नहीं कर सकें, जिसे अपने
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