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तेईस
अन्तभित किया जा सकता था। पर अंततः हमने प्रतिपाद्य की प्रमुखता के आधार पर उनका विषय-वर्गीकरण किया है। जैसे-'अहिंसा और श्रावक की भूमिका' तथा 'अहिंसा का सिद्धांत : श्रावक की भूमिका' ये दोनों अहिंसा के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उद्घाटित करते हैं पर श्रावक के आचार से संबंधित होने के कारण इन्हें 'आचार' के अन्तर्गत 'श्रावकाचार' में रखा है। और भी अनेक स्थलों पर ऐसा हुआ है। जैसे ..'श्रावक के मनोरथ' 'श्रावक के विश्राम' आदि को 'आगम' के अन्तर्गत भी रखा जा सकता था पर 'श्रावकाचार' में रखा है।
___० 'धर्म : एक कसौटी, एक रेखा' पुस्तक में कुछ शीर्षक स्थान से सम्बन्धित हैं, जैसे -- पालघाट-केरल, बेंगलोर आदि। इन शीर्षकों में प्रतिपाद्य बहुत संक्षिप्त किन्तु मार्मिक है, इसलिए इन्हें विषय के आधार पर वर्गीकृत किया है । जैसे ... 'पालघाट-केरल' 'जातिवाद' से तथा 'त्रिवेन्द्रम्-केरल' 'धर्म
और जीवन व्यवहार' से सम्बन्धित है, इसी पुस्तक के 'नैतिक सन्दर्भ' खण्ड में एक, दो से लेकर पांच तक शीर्षक हैं। प्रेरक विचार होने से इन शीर्षकों को भी इसमें विषय के आधार पर समाविष्ट किया है।
__० 'प्रेक्षा : अनुप्रेक्षा' पुस्तक के विवेचक एवं व्याख्याता यद्यपि युवाचार्य महाप्रज्ञ हैं पर यह कार्य आचार्य तुलसी की पावन सन्निधि में हुआ है अतः इसे उन्हीं की कृति मानकर इसके शीर्षकों को इसमें समाविष्ट किया
० 'तुलसी-वाणी' मुनि दुलीचंदजी 'दिनकर' की संकलित कृति है। यद्यपि पूरी पुस्तक अनेक शीर्षकों में विभक्त है पर इसमें प्रवचनांशों के उद्धरण हैं अतः इस पुस्तक के शीर्षकों को इसमें समाविष्ट नहीं किया है।
'नवनिर्माण की पुकार' पुस्तक यद्यपि आचार्य तुलसी के नाम से प्रकाशित है, पर इसमें प्रारम्भ में लगभग १२८ पृष्ठों तक कार्यक्रमों की रिपोर्ट के साथ प्रासंगिक रूप में आचार्य तुलसी के विचारों को संकलित किया गया है, अतः स्वतन्त्र प्रवचन या लेख न होने से उसके शीर्षकों को हमने वर्गीकरण में सम्मिलित नहीं किया है।
प्रश्न और समाधान' कृति यद्यपि कृतिकार मुनि सुखलालजी के नाम से प्रकाशित है, पर इसमें समाधायक आचार्य तुलसी हैं, अत: इसके शीर्षकों को हमने इस वर्गीकरण में सम्मिलित किया है। यों 'अणुव्रत अनुशास्ता के साथ' पुस्तक भी ऐसी ही वार्तारूप कृति है, पर उसके शीर्षक वर्गीकरण के अनुकूल नहीं हैं इसलिए उन्हें इसमें सम्मिलित नहीं किया है।
. ० 'भगवान् महावीर' यद्यपि जीवनीग्रन्थ है, पर इसमें महावीर के विचारों एवं सिद्धांतों की बहुत सरल एवं सरस प्रस्तुति है। इस आधार पर इसके अनेक शीर्षकों को इस वर्गीकरण में समाविष्ट किया है।
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