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बाईस
इसके लेखों को वर्गीकरण में सम्मिलित तो किया है किंतु पृष्ठ संख्या नहीं दी है।
० आचार्य तुलसी की कुछ पुस्तके वार्ता रूप में हैं । इसी प्रकार कुछ निबंधों की पुस्तकों में भी वार्ताओं का समावेश हुआ है। मैं उन सबका संकेत करना चाहती थी पर विस्तारभय से ऐसा संभव नहीं हुआ। पर स्थूल रूप से साहित्य-परिचय में इसका संकेत दे दिया है।
आचार्य तुलसी की सन्निधि में अब तक सैकड़ों अधिवेशन-कार्यक्रमों का समायोजन हो चुका है। उनमें अणुव्रत अधिवेशन, महिला अधिवेशन एवं युवक अधिवेशन से संबंधित समायोजन विशेष उल्लेखनीय हैं। पर खेद की बात यह है कि उन कार्यक्रमों में प्रदत्त प्रवचनों की ऐतिहासिक दृष्टि से सुरक्षा नहीं हो सकी। फिर भी जितनी कुछ सुरक्षा हो सकी है और जो कुछ जानकारी मिल सकी है, उसे मैंने स्थान एवं दिनांक के उल्लेख के रूप में ऐतिहासिक क्रम से रखने का प्रयत्न किया है। इस प्रयत्न के कारण अधिवेशन के प्रवचनों को विषयवार वर्गीकृत नहीं किया गया है। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखा है कि इन अधिवेशनों से संबंधित प्रवचनों में यदि मुख्यता दूसरे विषय की है तो भी उसे अधिवेशन के क्रम में रखा है। यह स्पष्टीकरण इसलिए है कि पाठक को विरोधाभास प्रतीत न हो । शीर्षक वर्गीकरण : एक अनुचिंतन
यद्यपि यह सत्य है कि शीर्षक किसी भी लेख का दर्पण होता है पर आचार्य तुलसी के साहित्य में प्रवचन अधिक हैं। प्रवचनकार को सभा के अनुरूप विषय को अनेक धाराओं में मोड़ना होता है, अतः हमने विषयवर्गीकरण केवल शीर्षक के आधार पर नहीं, बल्कि प्रतिपाद्य विषय-वस्तु के आधार पर किया है । जैसे 'समाधान का मार्ग हिंसा नहीं' तथा 'अध्यात्म : भारतीय संस्कृति का मौलिक आधार' इन दोनों शीर्षकों को 'अहिंसा एवं 'अध्यात्म' के अन्तर्गत न रखकर 'अनुभव के स्वर' में रखा है, क्योंकि प्रथम में सन्त लोंगोवालजी के साथ हुई अन्तरंग वार्ता के संस्मरण हैं और दूसरे में जन्मदिन पर प्रदत्त उनका विशिष्ट प्रवचन है। इस प्रकार और भी अनेक स्थलों पर पाठक को शीर्षक पढ़कर भ्रम हो सकता है।
१. कहीं-कहीं शीर्षक इतने रहस्यमय एवं साहित्यिक हैं कि उनके आधार पर प्रतिपाद्य का ज्ञान नहीं हो सकता। वहां भी हमने विषय-वस्तु के आधार पर ही वर्गीकरण किया है, जैसे 'कागज के फूल', 'सबसे बड़ी त्रासदी', 'कालिमा धोने का प्रयास' आदि।
२. कहीं-कहीं वर्गीकरण के समय द्वन्द्व की स्थिति से भी सामना करना पड़ा क्योंकि एक ही प्रवचन, लेख या वार्ता को अनेक विषयों में
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